नीयत साफ़ नहीं है गर, कैसे ईमान बचा पायेगा|
लगन काम की नहीं होगी, कैसे मेहनत का फल पायेगा|
बुद्धि गर ज्यादा रखता है, कैसे अक्ल लगा पायेगा|
शारीरिक कमजोरी है गर, कैसे बल को बढ़ा पायेगा|
पैसे की भी कमी हर समय, कैसे सम्बन्ध बना पायेगा|
उमंग नहीं है मन में फिर, कैसे सावन में टिक पायेगा|
द्वारा
सुधीर बंसल
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