आँखें गर अच्छी हैं तो क्या, क्या दुनियां भी अच्छी देख पायेगा|
दुःख क्या होता है, इस दुःख को कैसे समझ पायेगा|
जब शादी की शहनाई होगी, और बारात नहीं आ पायेगी|
जब घर में लाश पड़ी होगी, और भीड़ नहीं जुट पायेगी|
जब शादी भी हो जाएगी, पर रात कभी नहीं आएगी|
जब सारी सुख सुविधा होगी, और डायविटीज हो जाएगी|
जब बुराई बहुत ही पनप जाएगी, और सहनशक्ति बढ़ जाएगी|
बुरे लोग कम होने पर भी, बुराई सहन की जाएगी|
जब आपस में दोस्तों के बीच में, समझौते की बारी आएगी |
दिल को रोज तोड़ने वाला, जब कुदरत खेल खिलायेगी|
जब पीड़ा न होने पर भी, आंसू की धार निकल जायेगी|
जब बिना बात की बातों पर, कुछ अफवाह उड़ जायेगी |
जब दुखती रग पर कोई हाथ रखेगा, और मरहम की बारी आएगी|
जब उस लम्हे की याद आएगी, और देह सिहर कर रह जायेगी|
द्वारा
सुधीर बंसल
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