Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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यह क्रम चलता ही जायेगा

 

जिंदगी की राह में, हर शख्स हमसफ़र नहीं हो पायेगा ।
जिसे हद से ज्यादा चाहेगा, वह पीछे ही रह जायेगा।
या निकल जायेगा आगे, नहीं भरोसा बन पायेगा।
फिर साथी नया तलाश करेगा, यह क्रम चलता ही जायेगा।

 

अब कठिन फैसला हो जायेगा, साथी टिक नहीं पायेगा।
अब झूठ बोलने वाले से, चेहरे पर चमक आ जाएगी।
सच बोलने वाला हरदम, आँखों में आंसू ही लाएगा।
ऐसा ही मन हो जायेगा, समझ नहीं कुछ आएगा।
अब धोखा होता ही जायेगा, यह क्रम चलता ही जायेगा।

 

प्रश्न का हल अब मुश्किल होगा, विशेषज्ञ नहीं मिल पायेगा।
हाले-दिल जिसे सुनाएगा, वही दूर अब हो जायेगा।
राह अकेली हो जाएगी, मन भी अब भटक जायेगा।
वक्त काटने वाला अब यह, गलत फैसला हो जायेगा।
अब प्रश्न वही दोहराएगा, यह क्रम चलता ही जायेगा|

 

 

द्वारा
सुधीर बंसल

 

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