सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जीवन में अपेक्षा के अनुरूप फल की प्राप्ति ना हो पाना ही हमारे दुःखों का एक प्रमुख कारण भी है। जीवन को दो तरीकों से सुखद बनाया जा सकता है। पहला यह है कि जो तुम्हें पसंद है उसे प्राप्त कर लो या जो प्राप्त है उसे पसंद कर लो।
यदि आप भी उन व्यक्तिओं में से एक हैं जो प्राप्त को पसंद नहीं करते और ना ही पसंद को प्राप्त करने का सामर्थ्य रखते हैं तो आपने स्वयं ही अपने सुखों का द्वार बंद कर रखा है। सुख प्राप्त करने की चाह में आदमी मकान बदलता है, दुकान बदलता है।
कभी-कभी देश बदलता है तो कभी-कभी भेष भी बदलता है। लेकिन अपनी सोच, अपना स्वभाव बदलने को राजी नहीं है। भूमि नहीं अपनी भूमिका बदलो। जिस दिन आपने अपना स्वभाव जीत लिया उसी दिन आपका अभाव मिट जायेगा।
सुरपति दास
इस्कॉन
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