Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चिंतन और संग सदैव श्रेष्ठ का ही

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जीवन में इस बात विशेष ध्यान रखें कि चिंतन और संग सदैव श्रेष्ठ का ही किया जाए। दुनिया में ऐसे व्यक्ति बहुत हैं, जो विकृत चिंतन और संग करके अपनी बुद्धि व अपना समय दोनों ही नष्ट करने में लगे रहते हैं। श्रेष्ठ चिंतन और संग से मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

दुनिया में ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं जिनका पूर्व जीवन दुष्प्रवृत्तियों से भरा रहा लेकिन कालांतर में श्रेष्ठ संगति और सात्विक वातावरण से उन्होंने स्वयं का उत्थान किया और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन सके। उचित मार्गदर्शन, उचित समय पर और उचित व्यक्ति के द्वारा मिले तो परिणाम भी श्रेष्ठ निकलता है।

सत्प्रवृत्तियां सकारात्मक परिवेश में ही जन्म लेती हैं। यदि परिस्थितियाँ आप पर हावी हो रही हैं तो असहाय मत बनो। सद् साहित्य, सत्संग और श्रेष्ठ चिंतन को अपना साथी बनाओ। निरंतर सुपथ की ओर अग्रसर बने रहने का दृढ़ संकल्प लो, जीवन में प्रत्येक शिखर की यात्रा का प्रारंभ शून्य से ही होता है।

सुरपति दास
इस्कॉन
 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ