सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
हमारे जीने की शैली ही जीवन में शांति एवं अशांति का निर्धारण करती है। हम अकारण अपने स्वभाव और व्यवहार से जीवन को अशांत और क्लेशमय बना देते हैं। जीवन में छोटी-छोटी बातें जिनको प्रेमपूर्ण व्यवहार से सुलझाया जा सकता है उन्हें अहम की वजह से हम और अधिक उलझा देते हैं।
सहज रहकर ही जीवन को प्रसन्नता और आनन्द से जिया जा सकता है। सहजता और धैर्य के आश्रय में जिया गया जीवन ही सुखी और सबका प्रिय बन जाता है। यदि जीवन में सहजता एवं धैर्य नाम का सद्गुण नहीं है तो हमारा प्रत्येक पल कष्टमय ही व्यतीत होने वाला है।
हम स्थिति-परिस्थिति को नहीं बदल सकते हैं लेकिन अपनी क्रिया-प्रतिक्रिया और अपने स्वभाव को अवश्य बदल सकते हैं। जिस दिन हमारा स्वभाव बदल जाता है उसी दिन से हमारा जीवन बदलना भी प्रारंभ हो जाता है।
सूरपति दास
इस्कॉन
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