सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
रंग ही प्रकृति का श्रृंगार है। बिना रंग के प्रकृति के रूप की कल्पना भी भयावह है। ठीक ऐसे ही सद्प्रवृत्तियाँ मानव जीवन के रंग हैं। इनके अभाव में जीवन भी अपना विकराल एवं भयावह रूप ले लेता है।
वैमनस्यता, कटुता, खिन्नता, द्वेषभाव आदि की कालिमा को आत्मीयता, मृदुता, प्रसन्नता एवं प्रेम आदि के रंगो से रंगकर जीवन को उल्लासपूर्ण बनाना ही रंगोत्सव होली पर्व का प्रमुख संदेश है। होली के इस पावन पर्व के अवसर पर अपने अंतस की कालिमा को स्नेह-प्रेम के रंगों से रंगते हुए मन की दुर्भावना को मिटाकर सद्भावना का गुलाल एक दूसरे के ऊपर अवश्य लगाएं।
रंगों के इस पावन पर्व के अवसर पर आत्मीयता, प्रेम एवं सौहार्द का रंग एक दूसरे के ऊपर डालकर जीवन को आनंदमय बनाते हैं। रंगोत्सव होली का पावन पर्व आपके लिए शुभ एवं मंगलमय हो।
सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदान्त हॉस्पिटल
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