सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
इस संसार मे अनेक कलाएं है लेकिन इन कलाओं मे सबसे अच्छी कला है दूसरो के ह्रदय को छू लेना। असली पूजा वही है जो हम किसी को बातों से, हथियारों से, कर्मों सें, चोट ना दें।
हाथ जोड़े रखना, माला जपते रहना दूसरों को ज्ञान देना सब व्यर्थ है। बोलना सभी को आता है किसी की जुबान बोलती है किसी की नियत बोलती है किसी का समय बोलता है किसी का पैसा बोलता है किसी का दबदबा बोलता है।
जिंदगी के अन्त में ऊपर वाले के दरबार में इंसान का हर कर्म बोलता है। रिश्तों के मेले में वही व्यक्ति हमेशा अकेला रह जाता है जो दिल और जुबान से साफ होता है।
सुरपति दास
इस्कॉन
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