Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ईश्वर भजन बिना माया से मुक्ति नहीं

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जिस प्रकार गंगा जी में मिलते ही सामान्य जल भी गंगा जैसा पवित्र हो जाता है। ठीक इसी प्रकार जीव तभी तक अपवित्र है जब तक वह ठाकुर जी से सम्बंध नहीं रखता है। ठाकुर जी से सम्बंध होते ही वो भी भगवद् स्वरूप ही हो जाता है।

श्रीकृष्ण बड़े कृपालु हैं। जीव किसी भी भाव से उनकी शरण में आ जाए वे उसका कल्याण कर ही देते हैं। गीता जी में भगवान् अर्जुन को यही कहते हैं कि मेरी कृपा के बिना, मेरा आश्रय लिए बिना, मेरा भजन किये बिना मेरी बनाई हुई माया से कोई मुक्त नहीं हो सकता है।

कैसे भी प्रभु में हमारा चित्त लग जाए। एक बार उनसे सम्बंध बन जाये तो फिर कल्याण होने में देर नहीं लगती। ठाकुर जी से कुछ ना कुछ सम्बंध अवश्य बनाओ। अर्जुन की तरह मित्र नहीं बना सकते हो तो दुर्योधन की तरह शत्रु भी बना लोगे तो भी कल्याण निश्चित है।

सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल 

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