जय श्री राम भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
भावार्थ- तुलसीदास जी कहते हैं कि दीनों पर दया करने वाले, माता कौशिल्या के हितकारी प्रगट हुए हैं। मुनियों के मन को हरने वाले भगवान के अदभुत रूप का विचार कर माता कौशल्या हर्ष से भर गई।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभा सिंधु खरारी॥
भावार्थ - प्रभु के दर्शन नेत्रों को आनंद देने वाले हैं, उनका शरीर मेघों के समान श्याम रंग का है तथा उन्होंने अपनी चारों भुजाओं में आयुध धारण किए हैं, दिव्य आभूषण और वन माला धारण की हैं। प्रभु के नेत्र बहुत ही सुंदर और विशाल है। इस प्रकार शोभा के समुद्र और खर नामक राक्षक का वध करने वाले भगवान प्रकट हुए हैं।
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥
भावार्थ - दोनों हाथ जोड़कर माता कौशल्या कहने लगी- हे अनंत! मैं तुम्हारी स्तुति किस विधि से करूं, क्योंकि वेद, और पुराण ने तुम्हें माया, गुण और ज्ञान से परे और परिमाण रहित बताया है।
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥
भावार्थ- श्रुतियांँ और संतजन ने आपको करुणा,सुख और आनंद के सागर कहकर आपके सभी गुणों का बखान किया हैं। जन-जन पर अपनी प्रीति रखने वाले ऐसे श्री लक्ष्मी पति मेरा कल्याण करने के लिए प्रकट हुए हैं
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY