सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जिस जीवन में संघर्ष नहीं होगा उस जीवन में सुख-समृद्धि एवं शांति रुपी मधुर फलों की प्राप्ति भी नहीं हो सकती। संघर्ष वो वृक्ष है जिसकी जडें कड़वी जरूर होती हैं मगर उसके फल बड़े ही मधुर होते हैं। जिस जीवन में आज जितनी मधुरता है उस जीवन में कभी उतना ही संघर्ष भी रहा होगा।
अक्सर हम लोग मधुर फल तो चाहते हैं लेकिन संघर्ष रूपी कड़वाहट का स्वाद नहीं लेना चाहते हैं। हम ये भूल जाते हैं कि जीवन की मधुरता की जड़ संघर्ष है। जो इस कड़वाहट से बचने की कोशिश करते हैं वो जीवन की मधुरता से भी वंचित रह जाते हैं।
जिसके जीवन का संघर्ष जितना बड़ा होगा उसके जीवन में उतनी मिठास होगी। पहले संघर्ष और फिर मिठास यही तो जीवन का नियम है। भगवान श्री राम के संघर्षों ने उन्हें जन-जन का प्रिय प्रभु राम बना दिया तो योगेश्वर श्रीकृष्ण के संघर्षों ने उन्हें महानायक बना दिया।
सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल
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