Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन में आनन्द के लिए थोडा दुःख सहना आवश्यक

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
विविधता ही इस दुनिया को खूबसूरत बनाती है। ब्रह्मा जी की सृष्टि में पूर्ण तो कोई भी नहीं है। यहाँ प्रत्येक मनुष्य में कुछ न कुछ कमी अवश्य है। सबकी सोच, सबके विचार, सबके उद्देश्य, सबके कार्य करने का ढंग अलग-अलग है। हम स्वयं चाहे कितना ही झूठ बोल लें पर कोई दूसरा बोल दे तो हमे बर्दाश्त नहीं होता। हम दूसरों पर कितना भी गुस्सा कर लें पर जब कोई हम पर गुस्सा करता है तब हमें बड़ा बुरा लगता है।

ज्ञानी ऐसी चेष्टाओं से मुक्त होता है। वह किसी पर अपना आधिपत्य जमाने की कोशिश नहीं करता। लोग जैसे हैं उन्हें वैसे स्वीकार कर लेना ही सबसे बड़ा ज्ञान है। सत्य का पालन दूसरों पर थोपने की अपेक्षा पहले स्वयं ही करना चाहिए।

अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में फूल खिलें, तो फिर कांटों को भी उतनी ही प्यार की नज़र से देखें। क्योंकि फूल कांटों में ही खिलते हैं। ज्योति अंधेरे में जगमगाती है। पत्थर पर जब छेनी की चोट पड़ती है, तभी मूर्तियां निर्मित होती हैं। अगर पत्थर कह दे कि नहीं, छेनी बर्दाश्त नहीं, काटो मत। तो पत्थर, पत्थर ही रह जाएगा। मूर्त्ति कभी नहीं बन पाएगा। अगर जीवन में आनन्द चाहिए तो थोड़ा दुःख सहना भी जरूरी है।

सुरपति दास
इस्कॉन
 

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