Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कर्म के अनुसार ही फल

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
प्रकृति अपने नियमों पर सदैव अटल रहती है। प्रकृति के अपने सिद्धांत हैं वो अपने सिद्धांतों से कभी नहीं चूकती है। यदि पौधे को आप पानी देते हैं तो वह स्वत: हरा भरा रहेगा और यदि आपने उसकी उपेक्षा शुरू की तो उसे मुरझाने में भी वक्त नहीं लगने वाला है।

निश्चित ही स्वर्ग और नरक दोनों यहीं हैं। जिन लोगों ने अच्छे कर्म किए उनके लिए ये दुनिया स्वर्ग बन गई तो जिन लोगों ने बुरे कर्म किए उनको यहीं नरक का आभास होने लगा। फूलों की खेती करने वाले को ये प्रकृति खुशबू एवं सौंदर्य स्वतः प्रदान कर देती हैं।

अत: यहाँ केवल चाहने मात्र से कुछ भी प्राप्त नहीं हो जाता। जो भी और जितना भी आपको प्राप्त होता है,वह निश्चित ही आपके परिश्रम और आपके सदकार्यों का पुरस्कार होता है। कर्म के जो बीज इस प्रकृति में बोए जाएंगे समय आने पर उसकी फसल भी अवश्य काटनी ही पड़ेगी।

सुरपति दास
इस्कॉन
 

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