सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
कठिनाइयाँ एक ऐसी खराद की तरह है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व को तराश कर चमका दिया करती है। कठिनाइयों से लड़ने और उन पर विजय प्राप्त करने से मनुष्य में जिस आत्म बल का विकास होता है, वह एक अमूल्य सम्पत्ति होती है, जिसको पाकर मनुष्य को अपार सन्तोष होता है। कठिनाइयों से संघर्ष पाकर जीवन मे ऐसी तेजी उत्पन्न हो जाती है, जो पथ के समस्त झाड़- झंखाड़ों को काट कर दूर कर देती है।
अनन्य भाव से परमात्मा की उपासना शरणागति का मुख्य आधार है। ईश्वर के समीप बैठने से वैसे ही दिव्यता उपासक को भी प्राप्त होती है साथ ही उसके पाप-सन्ताप गलकर नष्ट होने लगते हैं। नित्य-निरन्तर यह अभ्यास चलाने से ही जीवन में वह शुद्धता आ पाती है, जो पूर्ण शरणागति के लिये आवश्यक होती है।
संगठन, सामूहिकता, एकता, कौटुम्बिकता और मिल- जुलकर रहने की अभिरुचि जितनी अधिक विकसित होगी, समाज की समर्थता, सभ्यता उसी क्रम में बढ़ती जायेगी। आज इन स्वस्थ परम्पराओं का भारी अभाव है। हमें समाज का नया निर्माण करने के लिये प्रचलित अवांछनीय प्रथाओं के विरुद्ध विरोध, संघर्ष का झंडा खड़ा करना पड़ेगा और स्वस्थ परम्पराओं को प्रतिष्ठापित करने का भागीरथी प्रयत्न करना पड़ेगा, तभी हम अपने समाज को देवोपम और सुख-शान्ति का केन्द्र- बिेन्दु बना सकने में समर्थ हो सकेंगे।
सुरपति दास
इस्कॉन
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