Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कोई हमारा शत्रु ना बनें

 

सुप्रभात जी।कहानी सुनी सुनाई। संसार में सब हमारे मित्र बन जायें यह किंचित सम्भव नहीं है लेकिन कोई हमारा शत्रु ना बनें, यह प्रयास अवश्य किया जा सकता है।

हमारे मुख से सबके लिए प्रशंसा के शब्द ना निकलें कोई बात नहीं, पर हमारे मुख से किसी की निंदा ना हो यह तो किया ही जा सकता है। यदि आप किसी को अपनी थाली में से रोटी निकालकर नहीं खिला सकते तो किसी के निवाले को छीनने वाले भी ना बनो।

                    यदि हमसे पुण्य नहीं बनें तो पाप भी ना हो, ऐसा प्रयत्न अवश्य करें। आप सत्य नहीं बोल सकते तो असत्य ना बोलने का संकल्प लें। भगवद् अनुग्रह प्राप्त करने की प्रथम शर्त है पापमुक्त जीवन से जापयुक्त हो जाना। विकार से विचार की यात्रा , विषय से वासुदेव के मार्ग पर चलने वाला ही सत्य की अनुभूति कर सकता है।
 

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