Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मानोबल पर ही विजय निश्चित

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जिसका मन हार जाता है फिर दुनिया की कोई शक्ति उसे नहीं जिता सकती। मन के हार जाने का अर्थ परिस्थितियों के आगे समर्पण कर देना है। मन के हार जाने का अर्थ युद्ध से पहले ही लड़े बिना अपनी पराजय को स्वीकार कर लेना है।जीवन के समर में मन के हारे हार है और मन के जीते ही जीत है।

मन से कभी भी हार मत मानना, नहीं तो आसान सा जीवन भी कठिन हो जाएगा। कुछ न होते हुए भी जिसके पास मनोबल है, वह आज नहीं तो कल लेकिन एक दिन अवश्य विजयी होगा।

किसी भी मनुष्य की वास्तविक शक्ति और सामर्थ्य तो उसका स्वयं का मनोबल ही है। जीवन का युद्ध अस्त्र-शस्त्र के बल पर नहीं अपितु मनोबल के बल पर जीता जाता है।जिसके पास मनोबल है, उसकी विजय भी निश्चित है।

सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल
 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ