सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनने से पूर्व यह भी आवश्यक हो जाता है कि हम स्वयं दूसरों से प्रेरणा लेना सीख पायें। बिना प्रेरणा लिए हमारा जीवन प्रेरणादायक नहीं बन सकता। जिसमें कुछ सीखने की ललक होती है वही कुछ सिखाने की काबिलियत भी रखता है। यदि हम लेना चाहें तो संपूर्ण प्रकृति प्रेरणा से भरी हुई है।
प्रेरणा पर्वत से लेनी चाहिए जिसके मार्ग में अनेक आंधी और तूफान आते हैं पर उसके स्वाभिमान एवं मस्तक को नहीं झुका पाते। प्रेरणा लहरों से लेनी चाहिए जो गिरकर फिर उठ जाती हैं और अपने लक्ष्य तक पहुँचे बगैर रुकती नहीं। प्रेरणा बादलों से लेनी चाहिये जो समुद्र से जल लेते हैं और रेगिस्तान में बरसा देते हैं।
प्रेरणा हमें वृक्षों से लेनी चाहिए, फल लग जाने के बाद जिनकी डालियाँ स्वतः झुक जाया करती हैं। प्रेरणा उन फूलों से लेनी चाहिए जो खिलते भी दूसरों के लिए और टूटते भी दूसरों के लिए हैं। जो व्यक्ति प्रेरणा लेना जानता है उसका जीवन एक दिन स्वतः प्रेरणा दायक भी बन जाता है।
सुरपति दास
इस्कॉन
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