प्यार की झप्पी में बड़ी ताकत है, जो भी लगे प्यारा उसे गले जरूर लगाना। जिंदगी खुशहाल रहेगी।
Sanjay Sinha उवाच
प्यार की रेसेपी
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बहुत पहले मैंने अपने एक साथी को प्यार की रेसेपी बताई थी। मेरे साथी का दांपत्य जीवन थोड़ा दाएं-बाएं हो गया था और वो दुखी था। जब मैंने उसे प्यार की रेसेपी बताई, उसके बाद उसका जीवन फिर से हरा-भरा हो गया था।
कल मुझसे फिर किसी ने कहा कि संजय सिन्हा प्लीज़ एक बार और वो रेसेपी बताइए न। बहुत ज़रूरत है।
चलिए किसी की चाहत पर दुबारा सुनिए प्यार की रेसेपी। दुनिया में दुखी करने वाले सैकड़ों लोगों से आप रोज़ टकरा सकते हैं, लेकिन खुशी देने वाले कम ही लोग मिलते हैं। ऐसे में मेरी कहानी यकीनन खुशी बांटने वाली होती है। मैं खुशी की रेसेपी बांटता हूं। मैं खुद भी खुश रहता हूं और चाहता हूं संसार खुश रहे। मेरी रेसेपी आप आज रट लीजिए और अपनी पत्नी, प्रेयसी या कोई भी महिला, जिसे आप चाहते हैं कि आपसे खुश रहे, उस पर आज इस प्रयोग को करके देखिएगा। ये खुशी का टॉनिक है।
दुनिया के कुछ महान वैज्ञानिकों ने ये पाया है कि महिलाओं को गले लगाया जाए तो वे खुश और स्वस्थ रहती हैं। उन्होंने ये पाया है कि महिलाओं को गले लगना अच्छा लगता है। जब महिलाओं को गले लगाते हैं तो उनके मस्तिष्क से कई ऐसे रसायन निकलते हैं, जिनसे वो भावनात्मक रूप से खुद को पॉजीटिव महसूस करती हैं। इससे उनका रक्तचाप कम होता है और दिल की गति सामान्य होती है। दिन भर में अगर आप एक बार भी अपनी प्रिय को गले लगाते हैं, तो उसके स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा असर पड़ता है। अपने प्रियतम की बाहों में कोई भी महिला खुद को सबसे अधिक महफूज़ महसूस करती है और इसके स्थायी रासायनिक प्रभाव उसके मन और तन पर पड़ते हैं।
ऐसा नहीं है कि मैं ही पहली बार आपको ये ज्ञान दे रहा हूं। मैं जानता हूं कि आप इसे जानते हैं, पहले से जानते हैं लेकिन आप इसे अमल में नहीं लाते। आप संकोच में रहते हैं। आपको लगता है कि आपकी शादी हुए तो इतने साल बीत गए, अब भला पत्नी को क्या गले लगाना।
महिलाएं कोमल होती हैं। ताउम्र कोमल रहती हैं। उन्हें हर पल प्यार की ज़रुरत होती है। उन्हें स्नेह के स्पर्श की ज़रूरत होती है। वो अपना घर, परिवार सब छोड़ कर अपने प्रिय के पास इसी उम्मीद में चली आती हैं और पूरी ज़िंदगी गुज़ार लेती हैं कि वो प्रिय की बाहों में महफूज़ रहेंगी। उनकी इस उम्मीद को ज़िंदगी दीजिए और अपने रिश्तों को और प्रगाढ़ कर लीजिए। मेरी आज की कहानी में बाल की खाल ढूंढने में समय मत बर्बाद कीजिएगा। ये मत कह बैठिएगा कि आपकी ज़िंदगी में तो कोई है ही नहीं, जिसे आप गले लगाएं। सबकी ज़िंदगी में कोई न कोई होता है। ईमानदारी से सिर्फ अपनी ज़िंदगी में जो है, उसे ही आपको गले लगाना है। उसे गले लगाइए और देखिए, खुशियां कैसे दस्तक देती हैं आपके दरवाज़े पर। आज इतना ही। कम लिखा, अधिक समझिएगा।
अगर घर में कहीं उदासी है, दुख है तो आप भी कोशिश करके देखिए। छोटे-मोटे मतभेद हों तो वो दूर हो ही जाएंगे ढेर सारी खुशियां मुस्कुराने भी लगेंगी।
मेरी कहानी कई साल पहले शुरू हुई थी मेरे साथी वर्मा जी को दिए ज्ञान से। वर्मा जी बहुत दुखी थे। कई बार मुझे फोन कर चुके थे। मैं देर रात उनके घर गया था। घर पहुंच कर दरवाजे की घंटी बजाने की जगह मैंने फोन की घंटी से उन्हें बता दिया कि मैं आ गया हूं। वर्मा जी ने दरवाज़ा खोला। सब सो चुके थे या जागे थे तो कोई सामने नहीं आया। चाय पूछने के लिए भी नहीं। वर्मा जी मुझे लेकर सीधे ड्राइंग रूम में चले गए और उन्होंने सिर्फ औपचारिकता में ही पूछा कि संजय जी, चाय लेंगे क्या? उनके अंदाज़ से लग रहा था कि घर में माहौल भारी है। मैंने सीधे मना करते हुए कहा कि आप परेशान हैं, क्यों?
वर्मा जी एकदम रुंआसे थे। कह रहे थे, "पत्नी चिड़चिड़ी होती जा रही है। घर के माहौल में कड़वाहट है। वो हर बात तंज़ मारती है। समझ में नहीं आता कि गलती कहां हो रही है?"
तब संजय सिन्हा ने उन्हें ये ज्ञान दिया था। आपने पूरी कहानी पहले मुझसे सुनी है। लेकिन आज फिर सिर्फ इसलिए, ताकि किसी और की ज़िंदगी में ऐसी कड़वाहट घुल गई हो तो…
मैंने वर्मा जी से कहा था कि आप बिल्कुल परेशान न हों। इस बात को ध्यान से सुनिए और इसे अमल में लाइए। सारी समस्या दूर हो जाएगी।
बताने की ज़रूरत नहीं कि मेरी दी रेसेपी से उनका जीवन खुशहाल हो गया था।
आप भी इस्तेमाल करके देखिए...
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