सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
महापुरुषों के वचन हैं कि विरोध करने वाला आपका शत्रु नहीं अपितु गलत कार्यों में आपका विरोध ना करने वाला आपका शत्रु है। जो गलत कार्यों में आपका साथ दे वो आपका शत्रु अवश्य है।
सच्चा हितैषी तो वही है, जो गलत को गलत कहने का सामर्थ्य रखे एवं अप्रिय कर्म अथवा कुकर्म से सदैव आपको बचाने का भी प्रयास करता रहे। परिणाम को जानते हुए भी विदुर जी ने दुर्योधन के तो विभीषण जी ने रावण के गलत कर्मों का कभी समर्थन नहीं किया अपितु उन्हें सदैव श्रेष्ठ एवं सत्य की राह का उपदेश ही करते रहे।
दुर्योधन ने चाचा विदुर की बात मान ली होती तो महाभारत ना होता और रावण ने भाई विभीषण की बात मान ली होती तो लंका का सर्वनाश ना होता। नश्वर पथ से रोकना और ईश्वर से जोड़ना ही सच्चे मित्र का लक्षण है।
सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल
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