Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संतुष्ट जीवन ही एक सफल जीवन

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
निश्चित ही अपने जीवन में जो संतुष्ट है वह मुक्त भी है। संतुष्टि व्यक्ति को जीते जी मुक्त करा देती है। इच्छाओं का शेष रहना और श्वासों का खत्म हो जाना ही मोह एवं इच्छाओं का खत्म हो जाना और श्वासों का शेष रहना ही मोक्ष है।

आपने अपना जीवन कितनी संतुष्टि में जिया यही आपकी मुक्ति का मापदंड भी है। महापुरुषों का जीवन इसलिए सफल अथवा वंदनीय नहीं माना जाता कि उन्होंने बहुत कुछ पा लिया है अपितु इसलिए सफल और वंदनीय माना जाता है कि उन्होंने जो और जितना पाया है, बस उसी में संतुलन बनाना और संतुष्ट रहना सीख लिया है।

संतुष्टि का अर्थ निष्क्रिय हो जाना नहीं अपितु अपेक्षा रहित परिणाम है। एक संतुष्ट जीवन ही एक सफल जीवन भी कहलाता है।

सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिट

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