सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
मूल्यवान हार नहीं अपितु सुंदर व्यवहार ही जीवन का श्रृंगार है। हमें जीवन में अच्छे व्यापार के साथ-साथ अच्छे व्यवहार के लिए भी सदैव प्रयत्नशील बने रहना चाहिए। जहाँ अच्छा व्यापार हमें बाहरी सुख प्रदान करेगा वहीं अच्छा व्यवहार हमें आंतरिक प्रसन्नता प्रदान करेगा।
मनुष्य के जीवन में कई क्लेशों का केवल एक ही कारण है और वह है उसका स्वभाव। बुरे स्वभाव से आसान कार्य भी जटिल बन जाते हैं। कुछ ना हो तो अभाव सताता है, कुछ हो तो भाव सताता है और सब कुछ हो तो फिर स्वभाव सताता है।
गलत व्यवहार हृदय में क्षोभ, अशांति और भय पैदा करता है। वाह्य खुशी तो व्यापार दे देगा पर भीतर की प्रसन्नता, भीतर का आनंद और निर्भीकता तो हमें जीवन में मधुर व्यवहार से ही प्राप्त हो पायेगा।
सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल
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