Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपने कार्यों से भी उदाहरण प्रस्तुत करें

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
उपदेश करना जितना आसान है उन्हें आचरण में धारण करना उतना ही कठिन। वाणी के बजाय कार्य से दिए गए उदाहरण कहीं अधिक प्रभावी होते हैं। कोरा उपदेश भी तब तक कोई काम नहीं आता जब तक उसे चरितार्थ ना किया जाए।

प्रत्येक सफल व्यक्तियों में एक बात की समानता मिलती है और वो ये कि उन्होंने केवल वाणी से नहीं अपितु अपने कार्यों से भी उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। उन्होंने जो कहा वो किया अथवा कहने की बजाय करने पर ज्यादा जोर दिया।

बिना पुरुषार्थ के हमारे महान से महान संकल्प भी केवल रेत के विशाल महल का निर्माण करने जैसे हो जाते हैं। हमारे पास संकल्प रूपी मजबूत आधारशिला तो होनी ही चाहिए पर साथ में पुरुषार्थ रूपी पिलर भी होने चाहिए, जिस पर सफलता रुपी गगनचुम्बी महल का निर्माण संभव हो सके।

सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल
 

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