Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हरियाली के लिए पतझड़ होना आवश्यक

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
इस संपूर्ण प्रकृति में विसर्जन के साथ ही सृजन भी जुड़ा हुआ है। हमारे दुखों का एक प्रमुख कारण यह भी है कि हम केवल जीवन के एक पक्ष को ही देखते हैं। हम जीवन को सूर्यास्त की दृष्टि से तो देखते हैं पर सूर्योदय की दृष्टि से नहीं देख पाते।

पतझड़ होता है तो तभी वृक्षों पर हरी कोंपलें फूटती हैं और वह पुष्पित व फलित होता है। परमात्मा से शिकायत मत किया करो क्योंकि वो हमसे बेहतर इस बात को जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा हो सकता है।

उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत करना क्योंकि शायद वह पहले से कुछ बेहतर उसमें डालना चाहते हों। इस प्रकृति में वृक्षों पर पतझड़ होता है ताकि हरियाली छा सके एवं अंधकार होता है ताकि अरूणोदय की लालिमा का आनंद हम सबको प्राप्त हो सके।

सुरपति दास
इस्कॉन 

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