सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
अपनों को हराकर आप कभी नहीं जीत सकते, अपनों से हारकर ही आप उन्हें जीत सकते हैं। जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता है, वही तो समझदार है। वर्तमान समय में परिवारों की जो स्थिति हो गयी है वह अवश्य चिन्तनीय है।
घरों में आज सुनाने को सब तैयार हैं लेकिन कोई सुनने को राजी नहीं है। रिश्तों की मजबूती के लिये हमें सुनाने की ही नहीं अपितु सुनने की आदत भी डालनी पड़ेगी।अपने को सही सिद्ध करने की अपेक्षा परिवार की प्रसन्नता को बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण है।
आज घर हो अथवा बाहर अधिकार की बात तो हर कोई कर रहा है लेकिन कर्तव्य की बात कोई नहीं कर रहा। आप अपने कर्तव्य का पालन करो, प्रतिफल मत देखो। जिन्दगी की खूबसूरती ये नहीं कि आप कितने खुश हैं, अपितु ये है कि आपसे कितने खुश हैं।
सुरपति दास
इस्कॉ
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