Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्रोध के क्षणों में भी क्षमा का कवच

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
क्रोधी पर क्रोध करने की अपेक्षा उसको क्षमा करने वाला मनुष्य अपनी व क्रोध करने वाले की एक महासंकट से रक्षा कर लेता है। महापुरुष कहते हैं कि क्रोध के क्षणों में भी क्षमा का कवच धारण करने वाला मनुष्य दोनों के क्रोध रूपी महारोग को दूर करने वाला चिकित्सक ही है।

क्रोध वो अग्नि है जिसकी चिंगारी किसी एक के पास उठती है लेकिन देखते ही देखते अनेक लोगों को आक्रोशित एवं उत्तेजित कर डालती है। क्रोध की ज्वाला धधकती है तो अपने साथ-साथ अनेक लोगों को उसमें जला डालती है।विवेक के शीतल जल से ही क्रोध की अग्नि को शांत किया जा सकता है।

क्रोध के क्षणों में विवेक के जल से स्वयं को शांत रखने वाला मनुष्य स्वयं तो क्रोध रुपी महारोग से बच ही जाता है साथ ही क्रोध करने वाले को भी इस महाशत्रु से बचा लेता है। क्रोध एक ऐसा रोग है जिसके चिकित्सक आप स्वयं हैं।

सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिटल 

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