सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
प्रभु से कोई ना कोई सम्बंध अवश्य जोड़ना चाहिए। श्रीकृष्ण तो बड़े दयालु एवं कृपालु हैं। जीव किसी भी भाव से एक बार उनकी शरण में आ जाए फिर उसके कल्याण में कोई संशय नहीं रह जाता है। जिस प्रकार गंगा जी में मिलते ही सामान्य जल भी गंगा जैसा पवित्र हो जाता है।
ठीक इसी प्रकार जीव तभी तक अपवित्र है जब तक वह ठाकुर जी से सम्बंध नहीं रखता है। ठाकुर जी से सम्बंध होते ही वो भी भगवद् स्वरूप ही हो जाता है। शास्त्रों और महापुरुषों का मत है कि वैर से, द्वेष से, भय से किसी कामना से अथवा प्रेम से किसी भी भाव से हमारा चित्त बस कैसे भी प्रभु में लग जाए।
एक बार उनसे सम्बंध बन जाये तो फिर कल्याण होने में देर नहीं लगती। भगवान श्रीकृष्ण से कुछ ना कुछ सम्बंध अवश्य बनाओ। अर्जुन की तरह मित्र नहीं बना सकते हो तो दुर्योधन की तरह शत्रु भी बना लोगे तो भी कल्याण निश्चित है।
सुरपति दास
इस्कॉन/भक्तिवेदांत हॉस्पिट
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