सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जो गलतियाँ बीते समय में हमसे हो गई समय चला गया, अब कुछ नहीं किया जा सकता है पर आत्मावलोकन अवश्य किया जा सकता है। आने वाले समय में हम उनमें सुधार लाएं ऐसा प्रयास तो किया ही जा सकता है। गलती करना बुरी बात नहीं मगर उसे दोहराना अवश्य बुरी बात है।
महापुरुषों का मत है कि अंधा वो नहीं जिसकी आँखें नहीं अपितु अंधा वो है जिसे अपनी गलती दिखाई नहीं देती है। जीवन में हर पल नईं ऊचाईयों को छूने के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि कुछ पल स्वयं के साथ बिताये जायें, कुछ पल स्वनिरीक्षण में लगाये जायें।
यद्यपि पीछे मुड़कर देखने से कोई लाभ तो नहीं मगर उन पत्थरों को अवश्य याद रखना चाहिए जिनसे ठोकर खाकर हम गिर गए हों।आओ अपने प्रगति पथ पर निरन्तर आगे बढ़ते हुये अपनी गलतियों को ना दोहराते हुए जीवन को नईं ऊँचाइयों तक पहुँचाकर एक आदर्श जीवन जीने का संकल्प लेते हैं।
सुरपति दास
इस्कॉन
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