सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
जीवन के प्रति हमारा चिंतन जितना नकारात्मक होगा हमारी चिंताएं उतनी ही बड़ी होंगी। ऐसे ही हमारा चिंतन जितना सकारात्मक होगा, हमारे कार्य करने का स्तर उतना ही श्रेष्ठ एवं जीवन उतना ही प्रसन्नता से भरपूर रहेगा।
जीवन में हमें इसलिए पराजय नहीं मिलती कि कार्य बहुत बड़ा था अपितु हम इसलिए परास्त हो जाते हैं कि हमारे प्रयास बहुत छोटे थे। नकारात्मक दृष्टि आसान से आसान कार्य को भी चिंतायुक्त एवं जटिल बना देती है तो जटिल से जटिल कार्य को सकारात्मक चिंतन बड़ा आसान बना देता है।
प्रभु में विश्वास से बढ़कर कोई श्रेष्ठ चिंतन नहीं और हमारी चिंताओं का निवारण करने वाला साधन भी नहीं है। जीवन को चिंता में नहीं चिंतन में जिया जाना चाहिए। किसी भी चिंता का एकमात्र समाधान है, सकारात्मक चिंतन।
सुरपति दास
इस्कॉन
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