Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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स्वयंभू का चिंतन ही अध्यात्म

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
कायर व्यक्ति जीवन में कभी भी आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर सकता है। अध्यात्म कायरों और अकर्मण्यों का मार्ग नहीं अपितु कायरता और अकर्मण्यता का त्याग करने वालों का मार्ग है। अधिकांशतया लोगों की दृष्टि में अध्यात्म का मतलब वह मार्ग है जहाँ से कायर लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं।

अध्यात्म का मतलब छोटी जिम्मेदारियों से बचना तो नहीं मगर छोटी-मोटी जिम्मेदारियों का त्यागकर एक बड़ी जिम्मेदारी उठाने का साहस करना जरूर है। सोचो! अध्यात्म यदि कमजोर लोगों का ही मार्ग होता तो फिर बालपन में ही शेर के दाँत गिन लेने की सामर्थ्य रखने वाले भगवान महावीर और भगवान बुद्ध जैसे लोग इस पथ से ना गुजरे होते।

स्वयं की चिंता को त्यागकर स्वयंभू के चिंतन का नाम ही अध्यात्म है। सही अर्थों में स्वयं के कष्टों का विस्मरण कर समष्टि के कष्टों के निवारण की यात्रा ही वास्तविक आध्यात्मिक यात्रा है।

सुरपति दास
इस्कॉन
 

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