Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वस्तुओं का श्रेष्ठतम उपयोग ही सत्संग

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
धन्य घड़ी सोई जब सत्संगा किसी व्यक्ति के जीवन को देखकर यह समझा जा सकता है कि उसने जीवन में किस प्रकार का संग किया होगा। जीवन में संग का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। जीवन में सत्संग की प्राप्ति जीवन उत्थान एवं आनंद का मूल है।

पारस मणि का संग पाकर लोहा भी स्वर्ण बन जाता है, उसी प्रकार श्रेष्ठ का संग करने से जीवन मूल्यवान एवं श्रेष्ठ अवश्य बन जाता है। अन्न, धन, ऐश्वर्य, वैभव, पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान, बल, बुद्धि भले ही जीवन में सब हो लेकिन सुसंग ना हो तो सब स्वर्ण कलश में सुरा के समान ही है।

वस्तुएं होते हुए भी वस्तुओं का श्रेष्ठतम उपयोग करना ये हमें सत्संग ही सिखाता है। सत्संग वो चिकित्सालय है, जहाँ मन के समस्त विकारों, मन के समस्त रोगों का पूर्ण निवारण किया जाता है।

सुरपति दास
इस्कॉन 


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