Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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विवेक का आश्रय

 

सुप्रभात जी।
कहानी सुनी सुनाई।
विवेकवान व्यक्ति ही जीवन की प्रत्येक परिस्थिति, वस्तु, व्यक्ति, अवस्था इन सबको अपने अनुकूल कर सकता है। जिस प्रकार जब बाढ़ आती है तो वह सब कुछ बहाकर ले जाती है।

इस स्थिति में भी एक कुशल तैराक अपनी तैरने की कला से बाढ़ को मात देकर स्वयं तो बचता ही है अपितु कई औरों के जीवन को भी बचाने में सहायक होता है। विवेक के आश्रय में कुशलतापूर्वक जिया गया जीवन समाज के लिए भी एक आदर्श स्थापित करता है।

अपने आपको दुनिया की भीड़ का हिस्सा मत बनाओ। परिस्थिति और अभावों का रोना ना रोकर जीवन में कुछ श्रेष्ठ करने के लिए सदैव प्रयासरत रहो। विवेक का आश्रय कभी भी तुम्हारा पतन नहीं होने देगा। जीवन में विवेकयुक्त होकर कार्य करना ही मनुष्यता है अथवा जो विवेक पूर्ण कार्य करे वही मनुष्य है।

सुरपति दास
इस्कॉन 
 

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