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Dr. Srimati Tara Singh
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व्यवहार की शुद्धि के लिए महापुरुषों का संग

 

सुप्रभात जी

कहानी सुनी सुनाई।
हम कितना भी भजन कर लें, ध्यान कर लें लेकिन हमारा संग यदि गलत है तो सुना हुआ, पढ़ा हुआ और जाना हुआ कुछ भी ज्ञान आचरण में नहीं उतर पायेगा। साधना के जगत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अगर कोई बात है तो वो है संग।

आपको धनवान होना है तो धनी लोगों का संग करें, राजनीति में जाना है तो राजनैतिक लोगों का संग करें। पर रसिक बनना है, भक्त बनना है तो संतों का और वैष्णवों का संग अवश्य करना पड़ेगा। दुर्जन की एक क्षण की संगति भी बड़ी घातक होती है।

वृत्ति और प्रवृत्ति तो संत संगति से ही सुधरती है। संग का ही प्रभाव था कि लूटपाट करने वाला, रामायण लिखने वाले वाल्मीकि बन गए। थोड़े से भगवान बुद्ध के संग ने अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन कर दिया। व्यवहार की शुद्धि के लिए महापुरुषों का संग अवश्य होना चाहिए।

सुरपति दास
इस्कॉन
 

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