Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अंगिका मुकरी भाग -2

 

बोर बराती बहकै चहकै
पाँच डेग तक दारू महकै
बाजै तॅ दलकै जनवासा
की हिया शंख, नै पिय ताशा।


भरै उड़ान नया बछिया तब
कनकन हवा बहै पछिया जब
बारों घूर बथान बुहारी
की हिय भुसा! नै पिय अमारी।14


हल्ला-गुल्ला, खुल्लम-खुल्ला
हाँथ गरम पर जेबी ढिल्ला
छाप बताबै पिपरी, खोटा
की हिय देभों, नै पिय नोटा।15


रात अन्हरिया थर-थर कांपै
डेग-डेग सें रस्ता नांपै
चिकरी बोलै, जागें बहरा
की हिय पागल! नै पिय पहरा।16


देखी कें लागै अलवत्ता
अखनी पटना, झट कलकत्ता
बटन दबाबों कटथौन धोन
की हिय वकील, नै पिया फोन।17


हुनका नौकरी छै सरकारी
रोज-रोज नयका तरकारी
पड़लै छापा भेलै राई
की हिय आफत! नै सीबाई।18


अंग अंगिका खतिर धरणा,
ऐकरा खातिर जीना-मरना
होलै वहा जे रहै लाजमी
की हिय कुस्ती! नै अकादमी।19


पीरो-पीरो फूल महिनका
याद आबै छै जब उ दिनका
लठगर-झसगर पैलौं बरसों
की हिय धनियां, नै पिय सरसों।20


आसमान मे हुक्का पाती
देखी कें पीटै सब छाती
बरस-बरस से काटै फीता
की हिय कैची, नै पिय नेता।21


बात-बात में टाँग अड़ाबै
भीड़-भाड़ में खूब डराबै
पहनावा सें लागै सनकी
की हिया जोकर, नै आतंकी।22


बक्सा से जुड़लांे छै बक्सा
देषभरी के बनलै नक्षा
खैथौं! कोयला, बिजली, तेल
की हिय चुल्हा, नै पिया रेल।23


सावन मे जयकार लगाबै
भूत बनी के नाचै-गाबै
कांखीतर झोला केसरिया
ही बम भोला, नै कँावरिया।24


बादल, बिजली कॅे सनकाबै
फिसिर-फिसिर बरसी चहकाबै
बेंग कहै सापों कें शाबस
की हिय झरना! नै पिय पावस।25


गोदी में चिल्का-बच्चा छै
देखै में कत्ते अच्छा छै
कूद-छलांग जनमौती लूर
की कंगारू, नै पिय लंगूर।26


सटकल अतड़ी सूटकल पेट
रोजे हियाबै बड़का गेट
दर-दर घूमै पारा-पारी
की हिया गिरगिट! नै भिखारी।27


बित्ता भर माँटी में घुसलों
जरियोटा नै लागै रूसलों
माँटी के पुस्तैनी जेरा
की नट दीमक! नै भट चेरा।28


झूठ सांच के सानी-सानी
हर पन्ना पर लाख कहानी
टेबुल पर करसारी बीबी
की हिय घोखा, नै पिय टीवी।29


घोंर दुआर सुहानों लागै
सबसे पहिनें सूतै-जागै
हुनको हिस्सा छोटों कूड़ी
की नट नौड़ी, नै भट बूढ़ी।30


चैडा़ रस्ता सात सहेली
आगू-पीछू ठेलम-ठेली
परषासन के नींद हराम
की हिय रौदा, नै पिया जाम।31


कत्ते अैलै, कत्ते गेलै
धोतें-धोतें मैलो भेलै
जे पूजै से भेलै चंगा
की हिय भोला! नै पिय गंगा।32


झुकलांे कम्मर, धसलों छाती
झलकै हड्डी के सब बाती
यमराजो के लागै कूड़ा
की हिय रोगी, नै पिय बूढ़ा।33


दूध पिलाबै लोरी गाबै
गोदना पारी ऊँ लिखाबैै
घुरी-फीरी हुलकै मुस्काय
की हिय दादी, नै पिया माय।34


हँसमुख चहरा भारी गीत
जेहा सुनलकै भेलै मीत
खिच्चा बात, दिलो सें खीरा
की हिया तुलसी, न पिय ‘हीरा’।35


पुल-पुल, लदबद, कनकन, गिल्ला
जेतना उछलों ओतने डिल्ला
टांग समेटों जैथौं फलकी
की हिय पिच्छड़, नै पिय दलकी।36


जनमलै बक्सा सें बैताल
आगमहल में गेरूआ लाल
ताजमहल सें भागलै डीठ
की हिया सिनूर, नै पिय ईट।37


ऐंगना लागै उबर-खाबर
घर के मुरगी दाल बराबर
दोनों कुल कॅे पड़लै पाला
की मधु दारू, नै मधु शाला।38


तीनपहियां के एक मचान
पों-पों दौड़ै हिन्दुस्तान
पैडिल के पीठो पर बक्सा
की हिय टेम्पू, नै पिय रिक्षा।39


कहाँ फुदकना कहाँ चहकना
के चुनतै खुद्दी के दाना
छप्पर, गाछ बिलैलै सगरों
की हिय मैना! नै पिय बगरों।40

 

 

सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’

 

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