Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम नये हालात से डरने लगे

 

हम नये हालात् से डरने लगे
कोख में अरमान जब मरने लगे।

 

भूख ने दस्तक दिया जब जोर से
जो नहीं करना था वो करने लगे।

 

जीत कर आया पसीना नोट से
तब पसीने से सभी डरने लगे।

 

गाय जब आँखे मिलाकर अड़ गयी
षेर गुमसुम खेत में चरने लगे।

 

याद करना छोड़ दी जब दुष्मनी
घाव अपने आप ही भरने लगे।

 

साफ मौसम में पड़े ओले यहाँ
जब हजामत षौक से करने लगे।

 

 

सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’

 

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