जब कभी मामले बड़े होंगे
चूड़ियों के भी दिल कड़े हांेगे।
भारती के सपूत पर्वत बन
तोप के सामने अड़े हांेगे।
ये तिरंगा लिये मुरेठों पर
कन्या-कष्मीर तक खड़े होंगे।
साथियोे झुक के तुम नमन करना
दूध जिनके समर लड़े हांेगे।
वीर बेवा की गोद का सूरज
चाँदनी रात में बड़े होंगे।
हो सके जष्न तुम मना लेना
जब तिरंगे में हम पड़े होंगे।
सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’
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