Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

लोरी

 

छोटो-छोटो अँखिया में मोंटो-मोंटो लोर रे
चानों केरो बेटिया से बेटी हमरो गोर रे।
लाले-लाले सुग्गा सन सुगनी के ठोर रे
छोटो-छोटो अँखिया में मोंटो-मोंटो लोर रे।

 

दादी के दुलारी बेटी दादा के सपनमा
गम-गम गमकै छै बाबू के बगनमां
अंगेठी करी के आबै निनियाँ पोरे-पोर रे
छोटो-छोटो अँखिया में मोंटो-मोंटो लोर रे।

 

सपना मे सोची-सोची-सोची सपना सजाबै छै
सुतला में नून-बाबू हाँसी के लजाबै छै
काजरो से लेधरैलो आँखी केरो कोर रे
छोटो-छोटो अँखिया में मोंटो-मोंटो लोर रे।

 

 

नुनीयां के मचीया से झुल्लै कजरौटिया
मचीया से सटलौ छै दादी केरो खटिया
नुनू करै गुजुर-गुजुर दादीये निंभोर रे
छोटो-छोटो अँखिया में मोंटो-मोंटो लोर रे।

 

सरकी जे गेलै बबनी नीनी के खबरिया
चँदा मामा हुलकै छै खोली के केबरिया
सुती गेलै, सुतै दहीं कोय नय बोलें जोर रे
छोटो-छोटो अँखिया में मोंटो-मोंटो लोर रे।

 

सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ