Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पेट काटकर

 

तुम देते हो चेक काटकर
हम देते है पेट काटकर,
मेरे घाव के मरहम को भी
चाट गया तुम चाट-चाटकर।।


गाँव के खून-पसीने से ही
जिन्दा अबतक लोकतंत्र है
ताज की लाज नहीं रक्खा ये
कैसा तेरा तंत्र-मंत्र है,
जब-जब हमने हक् मांगा तुम
ठोकर मारा डाँट-डाँटकर।
मेरे हिस्से का सूरज भी
झपट रहे हो बाँट-बाँट कर।
तुम देते हो चेक काटकर
हम देते है पेट काटकर।।


चोर-चोर का संघ बनाकर
जनमत लूटा, कुर्सी लूटी
तेरे घर के बेडरूम में
चूड़ी अवलाओं की टूटी,
तुम खाते हो केक काटकर
मेरा सौ परसेन्ट काटकर।
नया दोशाला तुम्हें मुबारक
हमको चिप्पी साट-साट कर।
तुम देते हो चेक काटकर
हम देते है पेट काटकर।।

 

 

नैया खेवनहार बनाया
दिल्ली का दिलदार बनाया
तेरा खून कहीं गड़बड़ है
जो तुमको गद्दार बनाया,
तुम खाते हो छांट-छांटकर
हमको देते घांट-घांटकर।
तुम देते हो चेक काटकर
हम देते है पेट काटकर।।


पाँच साल तक मौज उड़ाए
देश का पैसा व्यर्थ बुड़ाए
मेरे घर के बच्चे भूखे
तेरे कितने पुस्त जुड़ाए
पार्टी, चोखा-चटनी बनती
लोकसभा में घाँट-घाँटकर
दे्शी देशज हिन्दी वाले
बोल रहें अब हृाट लगाकर।
तुम देते हो चेक काटकर
हम देते है पेट काटकर।।

 

 

सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’

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