Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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विरह गीत

 

गरजी-गरजी बरसै, करका बदरबा जे,
कोनी ठीहां मचिया बिछाबों गे दुलरिया।
झरिया में भींगी गेलौ, गेनरा-भोथरवा जे,
भींगी गेलौ अचरा के कोर गे दुलरिया।

 

भींगी-भींगी सुख्खी गेलौ छतिया के दूधबा जे,
सुख्खी गेलौ अखिया के लोर गे दुलरिया।
चाटी-चाटी लाल भेलै हाँथों के अंगुठबा से
लाले लाले सुगनी के ठोर गे दुलरिया


अरजै ले बाबू गेलौ, टकबा के ढेरिया जे
कहाँ में जे सुतलो, निंभोर गे दुलरिया।
जागी-जागी सुती गेलौ मनों के सपनमां गे,
सुती गेलौ जिनगी के भोर गे दुलरिया।

 

नियती के देहरी पे दोहरा करम देखी
विधना के नियमां कठोर गे दुलरिया।

 

सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’

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