फिर नया परचम उड़ाया जायगा
गम मुकद्दर का भुनाया जायगा।
फूल काँटो के हवाले छोड़कर
खुषबुओं को गुदगुदाया जायगा।
चाँदनी को देख कर आकाष में
बाघ का बच्चा सुलाया जायगा।
फूल लथपथ है जेहादी खून से
ओस से मलकर नहाया जायगा।
कोख में मुर्झा न जाए बेटियां
सोच को आँगन में लाया जायगा।
है लुकाठी हाँथ में संहार के
देखना वो ही चुनाया जायगा।
भारती की आरती बस गाण भर
कुछ मिनट में बुदबुदाया जायगा।
झूठ के आसन पे मजमां देखना
बाज को गीता सुनाया जायगा।
सुधीर कुमार ‘प्रोग्रामर’
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