Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं जहाँ खड़ा हूँ

 

मैं जहाँ खड़ा हूँ
दर्द का बाग है
गमों की बहार है
पहुंचकर जहाँ
हर इंसान विचारों में
जीने लगता है
सच्चाई से मुख मोड़ने लगता है
खुद का दामन खुद से चुराने लगता है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '
 

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