Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आनलाइन बायफ्रेंड

 

शानू के लेपटाप की स्क्रीन पर चेट बाक्स में लिख कर आता हे, जानू वेट १५ मिनेट में आता हूँ. जरा लंच कर लूँ.
शानू भी तेजी से टाइप करती हे - ओ.के.
आज सन्डे हे सो शानू घर पर हे, वो पदाई के लिए अपने मामा के घर लखनऊ आई हे.
शानू के पास १५ मिनेट हे क्योंकि उसका आनलाइन बायफ्रेंड लंच करने गया हे. वो भी फ्रेश होने के लिए बाथरूम जाती हे. उसके मामा का लड़का राहुल लंच कर रहा हे उससे दो या तीन साल छोटा यही कोई १७, १८ का.
शानू पानी पीती हुई राहुल से कोई बुक मांगती हे. राहुल बोलता हे- दीदी रूम में टेबल पर हे ले लीजिये.
शानू पानी पीती हुई राहुल के कमरे में जाती हे और टेबल पर बुक खोजती हे. राहुल का लेपटाप चालू हे शायद टार्न आफ करना भूल गया हे. शानू ऐसे ही ही देखती हे.
फेसबुक पर अफरोज नाम की आई डी ओपन हे. अभी-अभी चेट्बक्स में मेसेज पोस्ट हे- जानू वेट १५ मिनेट में आता हु. जरा लंच कर लूँ.
उसके निचे रिप्लाई हे शिवानी नाम की आई डी से- ओ.के.
शानू को चक्कर सा आ जाता हे . राहुल के कमरे से तेजी से निकलती हे. पीछे से राहुल की आवाज आती हे , दीदी बुक मिली क्या, वो कोई जवाब नहीं देती हे.
शानू अपने लेपटाप पर उलझी हे और तेजी से अपनी फेक आई डी शिवानी को डिलीट कर रही हे.

सुधीर मौर्या 'सुधीर'

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