चार साल की बच्ची
उन्हें मम्मी कह के
ऊँगली पकड़ के ले चली
बगल से गुजरते
उनके आँचल के लम्स
ने मुझे
ये एहसास कराया
अब उनमे भी
वो महक ,
वो लहक,
वो चहक - नहीं
पूरी नज़्म पढे
--सुधीर मौर्य
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चार साल की बच्ची
उन्हें मम्मी कह के
ऊँगली पकड़ के ले चली
बगल से गुजरते
उनके आँचल के लम्स
ने मुझे
ये एहसास कराया
अब उनमे भी
वो महक ,
वो लहक,
वो चहक - नहीं
पूरी नज़्म पढे
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