सुधीर मौर्य
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सुनो अलाउद्दीन
मैं वही हूँ
जिसे उठा लाये थे तुम
देवगिरिकी गलियों से
सौप दिया था मुझे
अपने नशेड़ी - गंजेड़ी शहज़ादे के बिस्तर को
तुम भी चाहते थे हासिल करना मेरी देह को
मेरी पथभ्रस्ट माँ की देह की तरह
मेरी देह छीन ली थी
तेरे ही बेटे मुबारक ने
तेरे ही बेटे ख़िज़्र से
जानते तो होगे
तेरे इन दोनों बेटो के साथ
तेरे वंश को
मैने ही मिटाया था
अपने एक स्वदेशी से मिलके
याद आया मेरा नाम
हाँ में देवल देवी हूँ
जिसे कम लोग ही जानते हैं
क्योंकि कभी कोई इसामी
हिन्दू राजकुमारी की वीरता का
इतिहास नहीं लिखता
--सुधीर मौर्य
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