प्रिया ने मुझसे पूछा ये BHMB क्या होता है।
मैने गौर से प्रिया को देखकर कहा 'नहीं जानता।' मेरा जवाब सुनकर प्रिया ने कहा 'उ ऊ ह , तुम कुछ नहीं जानते चलो मै किसी और से पूछ लूंगी।' कह कर प्रिया जाने लगी तो मैने उसे रोककर कहना चाहा 'मै इसका जवाब जानता हूँ पर तुम्हे बता नहीं सकता।'
मै सोचता रह गया और वो चली गई। ये मै तब की बात बता रहा हूँ जब प्रिया बमुश्किल बारह की थी और मै तेरह का। हमारी उम्र में भले ही एक साल का फ़र्क़ था पर हमारी कक्षाएं समान थीं। हम दोनों ने ही इस साल आठवी के एग्जाम दिए थे।
अगले दिन जब मै पार्क में मुहल्ले की ही एक लड़की जो तक़रीबन मेरी ही उम्र की रही होगी, उसके साथ बातें कर रहा था तभी वहां प्रिया आ गई। आते ही उसने मुझसे कहा 'जानते हो BHMB का मतलब होता है बड़े होकर माल बनेगी।'
प्रिया की बात सुनकर मै और मेरे साथ खड़ी लड़की पूजा चुपचाप एक - दूसरे को खड़े होकर देखते रह गए। हमें यूँ चुप देखकर प्रिया अपनी मिनी स्कर्ट को अपने हाथ से पकड़ के लहलहाते हुए बोली 'कल जब मै मार्केट गई थी तो वहां कुछ लड़कों ने मुझे देखकर BHMB वाला कमेंट किया। सच मै ये सोचकर एक्साइट हूँ कि मै बड़े होकर माल बनुँगी।'
प्रिया की बात पर मै अब भी खामोश था पर पूजा बोली 'प्रिया, कुछ लड़के तुम पर माल बनने के फ़िक़रे कस रहें है और तुम उनकी शिकायत करने की जगह खुश हो रही हो ?'
'ओ पूजा तुम कैसी बूढ़ी औरतों की तरह सीख दे रही हो अरे हम बोल्ड लड़कियां है नये ज़माने की और अगर कोई हमें अभी देखकर जान ले कि बड़े होकर बेहद सुन्दर होगें तो इसमें बुरा क्या है ?'
'प्रिया सुन्दर कहने और माल कहने में फर्क है।' पूजा ने प्रिया के तर्क़ का जवाब दिया था।
'अरे यार पूजा छोड़ो ये सब, इसे बेबाकी कहते हैं, मतलब बोल्ड्नेस।' प्रिया की बात सुनकर पूजा खामोश हो गई। मै तो पहले से ही खामोश था। जबकि प्रिया, वो अपने उभरते शरीर पर अपनी ही नज़र डालकर वहां से चली गई।
प्रिया और पूजा हमउम्र थीं पर मैने महसूस किया कि प्रिया, पूजा से कही जल्दी जवान हो रही थी। प्रिया के बात करने का अंदाज़ बेहद बोल्ड था और वो बात - बात पे खुद को बेबाक लड़की साबित करने की कोशिश किया करती थी। वो कभी - कभी मेरे पास आती और कोई सेमी नॉन वेज जोक सुना देती। मै जब कोई जवाब नहीं दे पाता तो वो मेरे सामने रखी नोटबुक बंद करते हुए कहती 'अरे सरफ़रोश क्या हमेशा सड़ी सी कहानियां लिखते रहोगे कभी कोई बोल्ड कहानी लिखो। और फिर कुछ देर बाद बोलती 'देखना सरफ़रोश मै एक दिन बेबाक कहानियाँ लिखुगी और मेरा नाम पेज थ्री पर होगा। लोग मुझे सेलब्रेटि कहेंगे।
मै दिल से प्रिया के सेलब्रेटी बनने की दुआ करता पर न जाने क्यों मुझे लगता कहीं सेलब्रेटी बनने के लिए उसका चुना रस्ता गलत न हो।'
प्रिया हमारे साथ दंसवी तक थी। उसके बाद वो दूसरे शहर चली गई और फिर कई सालो तक हमें एक - दूसरे की कोई खबर नहीं रही।
राइटिंग मेरा बचपन का शौक था जिसे मैने अपना प्रोफेशन बना लिया। अब मै वॉलीवुड का एक स्थापित लेखक था। मै न सिर्फ वॉलीवुड का लेखक था बल्कि मै साहित्यिक रचनाएं भी लिख रहा था। मेरा एक नवलेट 'माई लास्ट अफेयर' उन दिनों बेहद चर्चा में था। उसकी चर्चा न सिर्फ देश के कोने - कोने में हो रही थी बल्कि वो सरहद पार कई देशो में भी चर्चित हो रहा था।
सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर प्रिया की फ्रेंड रेकयूस्ट और इनबॉक्स में मैसेज साथ - साथ आया।
प्रिया ने मुझे 'माई लास्ट अफेयर' की बधाई देने के साथ उसे पढ़ने की इच्छा व्यक्त की। मैने उसका एड्रेस माँगा और उसे अपनी किताब भेज देने का वादा किया। प्रिया ने कहा वो भी कहानिया लिख रही है। मैने उसे शुभकामनाये दी और उसकी फ्रेंड रिकयूस्ट एक्सेप्ट कर ली।
मैने प्रिय को 'माई लास्ट अफेयर' भेज दी थी। हमारे बीच अक़्सर चेटिंग होती और वो अपनी चैटिंग में खुद को बेबाक साबित करने की वालिहना कोशिश करती। उसने अपनी कहानियो की किताब के लिए एक अच्छे प्रकाशक के बारे में पूछा और मैने उसे अपने एक प्रकाशक मित्र का एड्रेस दे दिया।
कुछ दिनों मे प्रिया का कहानी संग्रह प्रकाशित हो कर आ चूका था। मैने चैटबॉक्स में महसूस किया कि वो अपनी इस पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही हवा में तैरने लगी थी। उसने मुझसे अपनी पुस्तक पढ़ने की रिक्यूस्ट की और मैने कहा मै जल्द ही उसकी पुस्तक मांगा कर पढूंगा। उसने जब कहा मै उसकी पुस्तक पढ़कर उसकी समीक्षा भी करूँ ओ मैँने उसे शालीनता से ये कह कर मना कर दिया कि मै या तो लेखक हूँ या पाठक कोई समीक्षक नहीं। पर प्रिया ने गुज़रे दिनों की दोस्ती का वास्ता देखकर जब समीक्षा लिखने का दबाव बनाया तो मैने कहा मै जल्द ही उसकी किताब पढ़कर एक टिप्पणी जरूर लिखूंगा। मेरी बात पर प्रिया ने चैटबॉक्स में कई स्माइली भेजे और फिर लिखा देखें सरफ़रोश मेरी बेबाक कहानियो की समीक्षा, आपको एक समीक्षक भी बना देगी।
यक़ीनन समय की व्यस्तता रही होगी मै प्रिया की किताब पढ़ नहीं पाया। प्रिया ने अक्सर चैटबॉक्स में मुझसे टिप्पणी लिखने को कहा और फेसबुक पर पोस्ट हो रही उसकी किताब की समीक्षा के साथ मुझे टैग करना चालू कर दिया।
एक दिन उलझ कर मैने कहा फेसबुक पे समीक्षा कोई भी लिख सकता है। क्या ही अच्छा होगा वो अपनी किताब की समीक्षा किसी प्रतिष्ठित पत्र - पत्रिकायो में प्रकाशित करवाए। मेरे ये कहने के कुछ दिनों बाद ही उसने एक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित अपनी पुस्तक की समीक्षा के साथ मुझे फेसबुक पे टैग किया।
प्रिया की किताब की समीक्षा जिस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी वो देश की सर्वाधिक प्रतिष्ठित पत्रिका थी। यक़ीनन प्रिया की लिखी कहानियां उत्कृष्ट रही होगी तभी तो इतनी नामचीन पत्रिका उनकी समीक्षा प्रकाशित हुई थी। मैने सोचा मै जल्द ही समय निकल कर उसकी किताब पढूंगा। मैने प्रिया को चैटबॉक्स में बधाई भी दी।
जब मैने उसे चैटबॉक्स में बधाई दी तो वो आनलाइन थी उसने तुरंत रिप्लाई दिया सरफरोश मैने कहा था न कि मै एक दिन सेलब्रेटी बनुँगी। जब मैने उससे पूछा क्या उसने पत्रिका कार्यालय में अपनी पुस्तक समीक्षा हेतु भिजवाई थी तो उसने बताया वो खुद पत्रिका कार्यालय में गई थी। और पत्रिका के संपादक एक बेबाक लड़की की बेबाक कहानियो की समीक्षा छापने को तैयार हो गए।
मैने उसे स्माइली भेज कर कहा हाँ वो एक सेलब्रेटी बन है और साथ ही इतनी सुंदर भी कि उसे अब वॉलीवुड का रुख करना चाहिए। मेरी बात सुनकर उसने स्माइली भेजकर कहा रियली सरफ़रोश ? मैने कहा - अफकोर्स।
एक दिन प्रिया ने मुझे फोन करके कहा वो मुंबई में है और मुझसे मिलना चाहती है। मै उसे अपना एड्रेस SMS करूँ। मैने उसे एड्रेस SMS भेजा तो उसने कहा वो आज ही मेरे घर आ रही है और मुझे अपनी बचपन की दोस्त से आज ही मिलना होगा।
प्रिया मेरी बचपन की दोस्त थी उससे मिलने का मै भी ख्वाहिशमंद था पर आज मैने एक अन्य नायिका को समय दे रखा था। ख़ैर मेरे प्रोफेशन में ये आम बात थी। पर समस्या ये थी कि ये नायिका अपने बीते दिनों में पोर्न स्टार रह चुकी थी और अब वॉलीवुड में काम करके अपनी छवि सुधारना चाहती थी। न जाने एक पोर्न स्टार को मेरे साथ देखकर प्रिया क्या सोचेगी ? क्योंकि एक बार गुज़रे ज़माने में प्रिया ने मुझे एक बात पर अच्छा - खासा लेक्चर दिया था।
ये बात उन दिनों की थी जब हम दंसवी में पढ़ रहे थे। पूजा आदवसियो के जीवन के बारे में जानना चाहती थी। हमारे शहर से कुछ मील की दूरी पर कुछ आदिवासी कबीले थे। मै और पूजा अक्सर सन्डे के दिन वहां जाते और उनके रीति - रिवाज़ो का अध्यन करते। पूजा ने मुझे उन आदिवासियों के जीवन पे एक कहानी भी लिखने के लिए कहा।
एक दिन जब मै और पूजा उस आदिवासी कबीले में जा रहे थे तो वहां हमारे साथ प्रिया भी गई उन दिनों तक उस कबीले में स्त्री - पुरुष में कमर के ऊपर वस्त्र पहनने का चलन नहीं था। बस वो कमर पे कपडे का एक छोटा सा टुकड़ा लपेट लेते थे। ख़ैर अब पूजा की अथक मेहनत से उस कबीले का जीवन स्टार काफी हद तक सुधर चूका है। शरीर पे पूरे कपड़ो के साथ - साथ उनकी बस्ती में प्राथमिक अस्प्ताल, स्कूल और बिजली आदि सुविधाएं उन्हें मुहैय्या हो चुकी है। अपने इस काम के लिए पूजा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है और आज भी वो लगातार ऐसे उपेक्षित और पिछड़े लोगो के लिए काम कर रही है।
हाँ तो मै कह रहा था रहा था उस दिन प्रिया जब हमारे साथ उस आदिवासी कबीले में गई तो पूजा और मुझपे अश्लील होने का आरोप लगाने लगी। उसने कहा मै उन अर्धनग्न आदिवासियों पे इसलिए कहानी लिख रहा हूँ ताकि कम उम्र में ही मै अश्लीलता के सहारे प्रसिद्धि पा संकू। प्रिया ने पूजा से कहा कि वैसे तो तुम बड़ी बहनजी टाईप लड़की बनती हो और यहाँ आदिवासी औरतों के स्तनों की फोटो खीँच रही हो। मैने और पूजा ने प्रिया को समझाने की कोशिश की, इसमें कोई अश्लीलता बल्कि हम इनके जीवन के बारे में समाज को बताकर इन्हे बाकी समाज से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
पूजा ने भी प्रिया को समझाते हुए कहा - कि उस जैसी बोल्ड लड़की को शोभा नहीं देता कि वो आदिवासियों की गरीबी और परम्पराओ को अश्लील कहे।
पूजा की बात प्रिया वहां से पैर पटक कर ये कहते हुए चली गई कि हम स्टुपिड बेबाकी और अश्लीलता में फ़र्क़ करना नहीं जानते।
आज भी जब इतने दिनों बाद प्रिया मुझसे मिलने आ रही थी तो मेरे साथ सना थी। सना अब पोर्न की दुनिया छोड़कर वॉलीवुड में अपना कैरियर बनाना चाहती थी। यक़ीनन प्रिया मुझ पर सना को लेकर ताना मारने वाली थी - कि मै और सना उसकी अश्लीलता के सहारे वॉलीवुड में नाम कमाना चाहते हैं।
पर उस दिन प्रिया मेरी उम्मीद के विपरीत थी। उसने सना और उसके एक्स कैरियर को जानने के बाद भी फौरी तौर पे कोई टिपण्णी नहीं की। बस अपनी बेबाकी के किस्से सुनाती रही। उसने बीते दिनों का वो किस्सा भी सुनाया जब उसने पूजा के सामने मुझसे EPPD का मतलब पूछा था। जब मै इसका मतलब नहीं बता पाया तो उसने अगले दिन पूजा के सामने मुझे इसका मतलब बताया जिसे सुनकर पूजा शर्म से लाल हो गई थी। .
सना ने प्रिया से पूछा लिया था EPPD का मतलब। जब तक मै सना को पूछने और प्रिया को बताने से रोक पता तब तक प्रिया बोल पड़ी - इरेक्ट पेनिस पे धोखा।
प्रिया की बात सुनकर सना के चेहरे पे जब तनिक लाज की सुर्खी आई तो प्रिया बोली 'क्या सना एक पोर्नस्टार होकर भी तुम इस नार्मल बात पे शर्माती हो जबकि मै इसे कितनी सहजता से कह लेती हूँ।' फिर प्रिया मुझसे मुखातिब होकर बोली 'सरफ़रोश मुझे लगता है अब आप बेबाकी और अश्लीलता के मायने समझ गए होगे ?'
हाँ क्यों नहीं प्रिया, मै तो उसी दिन समझ गया था जब तुमने मुझे आदिवासी बस्ती में इसके मायने समझाए थे। मेरी बात सुनकर प्रिया काफी देर हंसती रही और फिर वापस मिलने का वादा करके वहां से जाने लगी।
से एक घोस्ट राइटिंग करने वालेजब वो जाने लगी तो सना ने उसे नेक्स्ट सन्डे एक पार्टी में इनवाईट किया जिसे सना ने वॉलीवुड में फिल्म मिलने के एवज़ में रखी थी। प्रिया ने उसका न्योता कबूल करते हुए मुझसे कहा 'सरफ़रोश अब जबकि तुम कहते हो कि बेहद खूबसूरत हूँ तो क्या आप उस पार्टी में मेरी मदद करोगे ?'
'कैसी मदद प्रिया ?'
मुझे बतौर नायिका वॉलीवुड में फिल्म दिलाने में।'
'मै पूरी कोशिश करूँगा।' मैने कहा था।
000
सना की दी हुई पार्टी में वॉलीवुड की तमाम बड़ी हस्तियां थी। मैने इस पार्टी में पूजा को भी बुलाया था पर उसने आखिरी समय में पार्टी में ये कह कर आने से मना कर दिया 'कि उ शख्स से मिलने जाना है।'
उस पार्टी में प्रिया भी आई थी। स्लीवलेस शार्ट मिडी और हलके लाल कर्ली बालों के साथ। मैने उसका स्वागत सेक्सी और बोल्ड गर्ल करके किया। जिसके बदले में उसने अपने मोती से दांतों से अपने निचले होठ को काट कर शुक्रिया कहा। मैने प्रिया का परिचय वॉलीवुड के कई प्रोडूसर, डायरेक्टर और राईटर से करवाया।
बाद में जब पार्टी अपने शबाब पर पहंची तो मैने प्रिया के हाथ में व्हिस्की का गिलास और उंगलियों में सिगरेट को फंसा हुआ पाया।
वो सिगरट के लगातार कश मार रही थी। पार्टी के शोरगुल के बीच मैने उसके कान में कहा कि एक अभिनेत्री को ज्यादा सिगरेट नहीं पीनी चाहिए। मेरी बात का काउंटर रिप्लाई देते हुए उसने कहा 'सरफरोश जब कोई मर्द सिगरेट पीता है तब भी क्या आप उसे समझाते हैं। सच तो ये है कि आप मर्दों को लड़कियों की बेबाकी पसंद नहीं आती। वैसे बाय द वे मैने समझा आप मेरा चुम्बन लेने वाले है बट आप तो मुझे ज्ञान देने लगे।
मेरे पास हर बार की तरह प्रिया की बात का कोई जवाब इस बार भी नहीं था और सच कहूं तो उसने चुम्बन वाली बात कहके खुद के बेबाक होने का सबूत भी दे दिया था।
उस पार्टी के दो - तीन दिन बाद प्रिया ने मुझे फोन करके कहा उसे एक डायरेक्टर ने स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया है और मुझे भी वहां आना है। मैने प्रिया को बधाई दी और वहां न आने पाने की क्षमायाचना करते हुए कहा 'मुझे कल सुबह की फ्लाइट से दिल्ली जाना है एक साहित्यिक समारोह में सम्मिलित होने के लिए।
उस दिन दिल्ली मे मुझे प्रिया के बारे में दो बाते मालुम पड़ी।
एक - प्रिया ने शाम को मुझे फोन करके कहा 'कि वो स्क्रीन टेस्ट में फेल हो गई है।' मैने उसे सांत्वना तो दी पर उसे ज्यादा अच्छे से सांत्वना नहीं दे सका क्योंकि दिन को साहित्यिक समारोह की एक घटना ने मेरा मन प्रिया के लिए थोड़ा कसैला कर दिया था।
साहित्य समारोह में उस पत्रिका के संपादक महोदय से भेंट हो गई जिस पत्रिका में प्रिया की किताब की समीक्षा छपी थी। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा आजकल पत्रिकाओं का स्टार गिरता जा रहा है। फिर तुरंत ही उन्होंने अपनी पत्रिका का उदहारण दे डाला। वे प्रिया की किताब की छपी समीक्षा से दुखी थे।
मैने कहा 'श्रीमान आप संपादक हैं और यक़ीनन ठोक - बजा कर ही आपने उस किताब की समीक्षा करवाई होगी। फिर आपके चेहरे पे ये दुःख और पश्चाताप की परछाई क्यों ?'
मेरी बात सुनकर संपादक महोदय बोले 'आप तो प्रिया को जानते हैं क्या वो काफी बोल्ड है ?'
'हाँ है।' मैने छोटा सा जवाब दिया।
'और खूबसूरत भी ?' उन्होंने पूछा।
'हाँ।' मेरे इस छोटे से जवाब पे वे हाथ से एक तरफ खड़े युवक की ओर इशारा करते हुए बोले वो अमित है और उसने प्रिया की बोल्ड्नेस से प्रभावित होकर वो समीक्षा छपवाई है।'
'मतलब ?' मै सच में कुछ नहीं समझा था और मुझे समझाते हुए संपादक महोदय बोले 'उस वक़्त में अस्वस्थ था और इस वजह से हमारी पत्रिका के उस अंक के संपादन की ज़िम्मेदारी इस लड़के अमित पे थी।'
'तो ?' मेरी जिज्ञासा बढ़ गई थी।
मेरी जिज्ञासा शांत करते हुए संपादक महोदय बोले 'प्रिया ने अपनी बेबाकी अमित के गाल पे अपने होठों से उड़ेली और बदले में अमित ने वो समीक्षा मंजरे आम की।'
--संपादक महोदय की बात सुनकर मुझे झटका लगा, मे उन्हें अविश्वास से तकता रहा और मुझे यूँ ही अविश्वाश में झूलता छोड़कर वे वहां से चले गए।
0000
जब मै दिल्ली से मुंबई आया तो मेरा मन प्रिया के लिए बहुत कसेला था। यही वजह थी मैने उससे कांटेक्ट नहीं किया और न ही उसने मुझे कांटेक्ट किया।
कोई दो - तीन महीने बाद प्रिया ने मुझे फोन करके अपनी ख़ुशी बांटी, उसे एक फिल्म में बतौर सहनायिका रोल मिल गया है। उसने एक पार्टी रखी थी और उसमे मुझे इनवाईट किया ।
पिछले कुछ दिनों से मेरा मन प्रिया के लिए कसेला था, पर वो मेरी दोस्त थी। इसलिए मैने उसका न्योता कबूल कर लिया।
उस पार्टी में फिल्म जगत की कई बड़ी हस्तियों के साथ सना भी थी। सना की फिल्म की शूटिंग अंतिम चरण में थी। मै उसकी सफलता के लिए जब उसे बधाई दे रहा था तब प्रिया ने वहां आकर कहा 'सरफ़रोश देखना एक दिन मै किसी फिल्म में नायिका बनुँगी और उस फिल्म की सहनायिका सना होगी।'
प्रिया की बात सुनकर सना ने उसे शुभकामना देते हुए उसकी ओर हाथ बढ़ा कर कहा 'मुझे आपके साथ काम करके अच्छा लगेगा।' पर प्रिया सना के हाथ की और हिकारत से देखते हुए बोली 'मै किसी पोर्न स्टार से हाथ मिलाना पसंद नहीं करती।'
प्रिया की बात सुनकर संना को शदीद झटका लगा और वो ज़मीन की ओर तकने लगी। सना को हौसला देने के लिए मैने उसके कंधे पे अपने हाथ रख दिए। मुझे यूँ सना के कंधे पे हाथ रखे देखकर प्रिय कटाक्ष से बोली 'डोंट वरी सना, तुम्हारे गॉड फादर तुम्हारे साथ है।'
कह कर प्रिया वहां से चली गई और सना के आँख के आंसू उसके गाल पे ढलक गए। उसके आंसू अपनी हथेलियों में ज़ज्ब करते हुए मैने 'सना मै तुमसे प्यार करता हूँ। क्या मुझसे शादी करोगी ?'
'जबकि आप जानते हैं, मै पोर्नस्टार हूँ।' सना मुझे अविश्वास से देख रही थी।
'और जबकि मै ये भी जानता हूँ किस मज़बूरी के वश में होकर तुम ये राह चली हो। और मै ये प्रपोस किसी पोर्नस्टार को नहीं बल्कि वॉलीवुड स्टार से कर रहा हूँ। मुझे जवाब चाहिए सना।'
पर ये दुनिया तुम्हे ताने दे दे कर जीने नहीं देगी।' सना की नज़र प्रिया की ओर थी।
'और जबकि आम्रपाली पवित्र होकर आज एक देवी बन चुकी है तो फिर मुझे अवसर दो कि मै तुम्हे अपने प्रेम से देवी बना सकूँ।'
मेरी बात सुनकर सना लजा गई और फिर वो तमाम पार्टी में लजाती रही। सना को यूँ लजाते हुए देखना मुझे बेहद अच्छा लग रहा था बस इसलिए मै उसे तनहा छोड़कर उसे दूर से देख रहा था। मुझे यूँ अकेला छोड़कर उस फिल्म का डायरेक्टर वहां आ गया जो प्रिया की फिल्म को डायरेक्ट कर रहा था।
उससे हाथ मिलाते हुए मैने कहा 'सर इंसान हो तो आपकी तरह न्यू कमर को इतना इनकरेज करने वाला।'
'क्या कहना चाहते हो सरफ़रोश मै कुछ समझा नहीं ?' डायरेक्टर महोदय ने अकबका के मुझे देखा।
'यही सर कि जबकि प्रिया स्क्रीन टेस्ट में बतौर नायिका फैल हो गई तो आपने उसे सहनायिका का रोल देकर इनकरेज किया। '
'अरे नहीं लेखक महोदय।' वो डायरेक्टर मेरे तनिक नज़दीक आकर बोल 'मैने तो उसे टोटली रिजेक्ट कर दिया था बट प्रोडयसर साहब पर न जाने उसने क्या जादू किया और उन्होंने मुझे प्रिया को फिल्म में लेने को कहा।'
उस डायरेक्टर की बात सुनने के बाद मैने प्रिया को पार्टी में तलाशा तो उसे उसकी फिल्म के प्रोडयसर के साथ हँसते - इठलाते पाया। मै मन ही मन मुस्करया तो प्रिया ने यहाँ भी अपनी कथित बेबाकी का इस्तेमाल किया।
हालाँकि वो पार्टी प्रिया की थी फिर भी मैने उस पार्टी में अपनी और सना की शादी की घोषणा कर दी। वहां मौजूद हर शख्स से मुझे ढेरो बधाइयां मिली। पर प्रिया मुझे जलती निगाहो से देखती रही। और फिर जब मै तनिक तनहा था तब वो मेरे पास आकर बोली 'सरफ़रोश आइडिया है आपका एक पोर्नस्टार के सहारे मशहूर हो जाने का। फिर वो तनिक नज़रे नीची करके बोली 'वैसे हम भी आपके तलबगार थे।'
मै प्रिया की बात का कोई जवाब दे पता तभी वहां सना आ गई और मुझे अपने साथ पार्टी से बाहर ले आई।
0000
उस पार्टी के बाद फिर प्रिया मुझे काफी दिन नहीं मिली, मैने अंदाजा लगाया वो अपनी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त होगी। एक दिन पूजा अचानक घर आ गई। सना के साथ शादी के मेरे फैसले को समाज की बड़ी जीत बताते हुए वो मुझे ढेरो शुभकानाए देने के बाद बोली 'सरफ़रोश क्या आप घोस्ट राइटिंग करने वाले किसी इंसान की स्टोरी लिखना चाहोगे ?'
मेरे हाँ कहने पे पूजा ने अगले दिन मुझे एक लड़के से मिलवाया।जब मैने उससे पूछा उसे बड़ा दुःख होता होगा जब उसकी लिखी रचना उसके सामने किसी और के नाम से आती होगी ? तो उसने कहा जरुरी नहीं कि हर बार घोस्ट राइटिंग करके तकलीफ ही हो।
'तो क्या तुमने कभी ख़ुशी भी महसूस की है घोस्ट राइटिंग करके ?'
'हाँ एक बार एक लड़की जो किसी कीमत पर लेखिका बनना चाहती थी उसके लिए मैने कहानियो की एक किताब लिखी और बदले में उसने मुझे अपनी एक रात दी।' पूजा से नज़रे चुराकर वो लड़का आगे बोल 'सर मेरी घोस्ट राइटिंग का वो सबसे सुखद पल था।'
फिर उसने अपने बैग एक किताब निकाल कर हमारे सामने टेबल पर रखते हुए कहा 'और सर ये ख़ुशी तब और बढ़ जाती है जब वो किताब बेस्ट सेलर कहलाए।'
मेरी और पूजा की नज़र जो ही किताब पे पड़ी हम दोनों ही आश्चर्य से उछल पड़े। हम दोनों ही प्रिया को उस किताब की लेखिका के बारे में अब तक बखूबी जानते आये थे।
जब वो लड़का अपनी बाकी दास्ताँ सुनाके चला गया तो पूजा ने मुझसे पूछा 'क्या आप इस पर कहानी लिखेंगे ?'
'नहीं कहानी नहीं, मै एक डाक्यूमेंट्री बनाना चाहूंगा जिसमे न सिर्फ इस लड़के की दास्ताँ हो बल्कि और भी कई वो किरदार हो जो अपना असली चेहरा छिपाए रहते है , क्या तुम मेरी हेल्प करोगी पूजा इस काम में ?'
मेरी बात पे पूजा ने इक़रार में सर हिलाया था।
काफी समय बाद प्रिया मुझे एक फंकशन में मिली, पूछा - 'आजकल क्या लिख रहे हो ?'
'लिख नहीं बना रहा हूँ।'
'ओह क्या मूवी ?'
'नहीं, डाक्यूमेंट्री।'
'ओ नायस, किस पर ?'
'तुम पर।'
'रियली।' प्रिया ख़ुशी से उछलते हुए बोली 'मै जानती थी एक दिन दुनिया मुझपे किस्से - कहानिया लिखेगी, मूवी - डाक्यूमेंट्री बनाएगी। पर सरफ़रोश मै ये नहीं जानती थी आप मुझे इम्प्रेस करने के लिए एक दिन ये सब करगे।'
'वैसे डाक्यूमेंटी का नाम क्या है ?
'एक बेबाक लड़की की अश्लील कहानी।' मैने धीरे से कहा और प्रिया के होठों की हँसी सिकुड़ के उसके अर्धनग्न सीने के बीच में दब गई।
सुधीर मौर्य
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY