Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हड़ताल का अर्थ

 

मालिक के केबिन से निकलकर नंदन जब बाहर निकला तो उसकी छाती घमंड से चोडी थी.

आज कंपनी के मालिक ने उसकी चिरौरी की थी हड़ताल ख़त्म करने के लिए पर वो तस से मास नहीं हुआ था. उसे
डबल बोनस है हाल में चाहिए था, अगर नहीं तो हड़ताल जारी.

केबिन से बाहर निकलते ही उसके पास श्याम भागते हुए था, लगभग गिडगिडाते हुए बोला था. नंदन बाबू कुछ बीच
का रास्ता निकल के हड़ताल बंद कर दो घर पर बच्चे भूख से बिलबिला रहे हे.

नंदन हेकड़ी से बोलते हुए - कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता हे, वहां से निकल गया था.

घर पर उसकी बीवी इन्तजार कर रही थी, बेटे को ज्वर १०२ दिघरी पहुच गया हे. नंदन के आते ही उसे बताती हे.

नंदन आनन् फानन उसे ऑटो में लेकर हस्पताल भागता हे.

रिस्प्सन काउंटर पर नर्स बोलती हे बच्चा एडमिट नहीं हो सकता .

नंदन पूछता हे क्यों .

नर्स बोलती हे हास्पिटल में हड़ताल हे, कोई डाक्टर नहीं हे.

नंदन को हड़ताल का अर्थ समझ में आने लगता हे.

सुधीर मौर्या 'सुधीर'

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