आओ मिलके गाये उन हिन्दुओ की आरती
अभिमान जिनपे करती है अपनी माँ भारती
तक रहा वो हिन्द था पर्शिया को जीत के
अभिमान चूर कर दिया चाणक्य, चन्द्रगुप्त ने
चीन भी थर्राता था उस बर्बरी जाति से
हूणों को विजित किया यूवराज स्कंदगुप्त ने
शत्रुओं की फौज के पाव को उखाड्ती
आओ मिलके याद करे वीर राजा दाहर की
मुक्तपीड और बाप्पा जैसे नाहर की
मेवाड़ के रानाओ तुम्हारे चरणों की वन्दना
सांगा, उदय, प्रताप, अमरसिंह की गर्जना
जौहर में कूदती पद्मनी और मालती
आओ मिलके गाये उन हिन्दुओ की आरती
अभिमान जिनपे करती है अपनी माँ भारती
सुधीर मौर्य 'सुधीर'
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