Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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लेस्बियन लड़की का प्रेमी

 

- सुधीर मौर्य
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उत्तेजक और रोमांटिक म्यूजिक अपने चरम पर था। इस तेज संगीत और गले से नीचे उतरे विह्स्की और वोडका के असर ने अपने पराये का भेद खत्म कर दिया था। रेव पार्टी में साथ आये कपल्स अब साथ नहीं थे। कोई किसी के साथ तो किसी के साथ झूम रहा था। जिसे आज से पहले देखा तक नहीं था उसे चूम रहे थे। एक दूसरे की बाहों में मचल रहे थे।
मेरे साथ आई पार्टनर भी न जाने फ्लोर पे किस जगह किस के साथ डांस कर रही थी, मैं नहीं जानता था। डांसिंग फ्लोर पे धीमी और रंगीन रौशनी के कारन से हम एक दूसरे को अगर पहचानते भी हो तो भी बिलकुल नज़दीक से ही पहचान सकते थे। उन्हें दूर से पहचान पाना तनिक मुश्किल था। हालाकिं कपड़ो से उन्हें पहचाना जा सकता था। पर अब उत्तेजना के इस हाल में किसी अपने को कोई पहचानना ही कहाँ चाहता था। अब तो जो उसके सामने था वो उसी में मस्त था।
उस रेव पार्टी का आलम ये था कि वहां मौजूद हर शख्स अब हर किसी से बैगाना था और हर शख्स हर किसी को जानता भी था।
जब पूरे आलम में मस्ती और खुमारी चढ़ी हो तो मैं इससे कैसे बचा रह सकता था।
हालाँकि मेरी नज़र अपने पार्टनर को ढूंढ रही थी पर उस वक़्त मेरी नज़र ने उसकी तलाश बंद कर दी जब कोई रक्स करती ज़ुल्फ़ों ने पहले मेरे सर को अपने आगोश में लिया और फिर मेरे चेहरे पे बिखर कर मेरी आँखों को ढक दिया। ये सिर्फ एक पल के लिये हुआ और फिर अगले ही पल उस सेमीकर्ली बालो वाली लड़की ने मेरे हाथ में फंसे विह्स्की के गिलास को साधिकार लिया और एक सेकंड में उसे अपने गले में उड़ेल कर वापस खाली गिलास मेरे हाथ में फंसा कर अपने पंजो और एड़ियों पे उछल उछल के नृत्य का आंनद लेने लगी। उसके यूँ उछलने से उसकी खुली ज़ुल्फ़ें बार - बार मेरे चेहरे से टकराने लगी।
ये या तो उसकी ज़ुल्फो की मदहोश कर देने वाली ज़ुल्फ़ों का असर था या फिर उत्तेजक संगीत और विह्स्की का असर था, जब एक बार वो लड़की अपने अद्भुत जम्पिंग डांस से मुझसे टकराई तो मैने उसकी गरदन में पीछे से हाथ डालकर उसे अपने होठों के पास लाया और उसके दाये गाल को चूम लिया। चुम्बन लिए जाते ही वो लड़की ने आश्चर्य से मुझे देखा, अब उसका उछलना भी बंद हो गया था। माहौल और उत्तेजना के असर से मेरे होठ अब उस जम्पिंग गर्ल के होठो की और बढ़े। उसकी गर्दन को मेरे हाथ ने अब भी पीछे से पकड़ रखा था।
मेरे होठ उस खूबसूरत महकती ज़ुल्फ़ों वाली लड़की के नाज़ुक विह्स्की से भीगे होठ चूमने में कामयाब हो पाते उससे पहले ही किसी ने मुझे धक्का देकर उसे मेरे हाथ से छुड़ाते हुए कहा 'यू मैन दूर रहो इससे ये मेरी गर्लफ्रेंड है।'
उसके धक्के से लड़खड़ाते हुए मैं बेहद आश्चर्य में था।
आश्चर्य मुझे उसके धक्के या उस धक्के से लड़खड़ाने का नहीं था आश्चर्य तो मुझे उस आवाज़ का था जिसने मुझसे कहा था 'यू मैन दूर रहो इससे ये मेरी गर्लफ्रेंड है।'
अगर तेज संगीत ने मेरे कानो में कोई खराबी पैदा नहीं की थी तो जो आवाज़ मैने सुनी थी वो किसी लड़के की नहीं बल्कि लड़की की आवाज़ थी।
आवाज़ की तस्कीद करने के लिए मैंने तुरंत उसको देखने का प्रयास किया जिसने खुद को मेरे द्वारा चूमी गई जम्पिंग गर्ल का बॉयफ्रेंड बताया था।
अब मेरा आश्चर्य घटने के बजाय ओर बढ़ गया था।
जम्पिंग गर्ल को अपने सीने में भींचे उसकी पीठ को अपने हाथ से हलके - हलके थपथपाते मुझे घर कर देखने वाला उसका बॉयफ्रेंड कोई बॉय नहीं था।
हलाकि उसके बॉबकट बाल और लड़को जैसा जीन्स टीशर्ट वाला पहनावा उसे पहली नज़र में लड़का सा दिखा रहा था पर विह्स्की ने मुझे अभी अपनी गिरफ्त में इतना नहीं लिया था कि मै ये न जान पाता कि वो कोई लड़का नहीं बल्कि लड़की है। उसकी आवाज़ भी यकीनन लड़की की ही थी।
'ऐ तूँ तो खुद किसी की गर्लफ्रेंड होगी तूँ क्या इसका बॉयफ्रेंड बनेगी। और हाँ ये खुद आकर मुझसे चिपटी थी मै नहीं। चाहिए तो इससे खुद पूछ लो।' ये कहते हुए मैने उसके सीने से लगी लड़की को कंधे से पकड़ना चाहा। मेरा हाथ उसके कंधे तक पहुँच पाता तभी उसके कथित बॉयफ्रेंड लड़की का हाथ उठा और मेरे चेहरे से टकराया। उसका हाथ भले ही एक लड़की का हाथ हो पर उसमे ताकत थी और मैं उसके प्रहार से अबकी बार लड़खड़ा कर फ्लोर पर लगभग गिर पड़ा।
कहते है की पुरुष का अहम् उस वक्त आसमान छूता है जब वो किसी लड़की से भरी सभा में अपमानित होता है। दुर्योधन का अहम् भी भरी सभा में द्रोपदी दवरा खुद पर हंसने से आहत हो गया था और उसने द्रोपदी को भरी सभा में नग्न करने के प्रयास का दुःसाहस किया था।
मैं उस वक़्त भले ही शराब की तरन्नुम में था पर मैं दुर्योधन जैसा अपने अहम् का मान रखने वाला नहीं था। यद्पि उस खुद को बॉयफ्रेंड कहने वाली लड़की के झन्नाटेदार थप्पड़ की वजह से मेरा अहम् आहत हुआ था पर तुरंत ही मैने खुद को संभाल लिया।
उठकर उस लड़की को देखते हुए मैने हंस कर कहा 'ओय बॉयफ्रेंड देखना एक दिन तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी।'
'कुछ भी।' वो अपनी कथित गर्लफ्रेंड को सीने से और सटाते हुए बोली।
'हाँ और जैसे आज तुम इस लड़की को सीने से चिपटा रही हो वैसे ही एक दिन तुम मेरे सीने से चिपटोगी।' मुझे अब उस पर कमेंट करने में मज़ा आ रहा था।
'ओह तो ट्राई करके देख लेना आज जैसा ही हाल न कर दूँ तो मेरा नाम इकराम नहीं।' वो अपनी कथित गर्लफ्रेंड को गले से हटाकर मेरी आँखों में देखकर बोली।
'ओके तो मुझे एक चांस देने को त्यार हो मिस इकरा।' उसने अपना नाम इकराम बताया था और मैने अंदाज़ा लगया उसका नाम इकरा होगा। बाद में मेरा ये अंदाज़ सही निकला था।
'आई ऍम नॉट इकरा, आई ऍम इकराम। ख़ैर छोड़ो मैने तुम्हे दिया एक चांस।'
'ओके डन तो नेक्स्ट वीकेंड तुम मुझसे यही मिलोगी अपनी इस सहेली के बिना अकेले।'
'ओय ये मेरी सहेली नहीं गर्लफ्रेंड है।'
'ओके ओके ठीक है पर उस दिन तुम अकेले आओगी मुझे चांस देने।'
मेरी बात सुनकर उसने एक पल मेरी आँखों में देखकर कुछ सोचा और फिर बोली ठीक है।'
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न जाने क्यों मुझे उन दोनों लड़कियों में से जो खुद को बॉयफ्रेंड बताती थी उसमे दिलचस्पी हो गई थी जबकि जो लड़की इस कथित बॉयफ्रेंड की गर्लफ्रेंड थी उसका मुझे ख्याल तक नहीं आया था जबकि उस रात पार्टी में नशे के झोंक में उसने ही मेरे साथ डांस किया था और उसके महकते बदन और उड़ते बालो से उसकी और आकर्षित होकर मैने उसे चूमने का असफल प्रयास किया था। अक्सर होता ये है कि जिस चीज को पाने में आप नाकाम हो जाते हो उसे पाने की ललक बढ़ जाती है पर मेरे साथ उल्टा ही हो रहा था मै अब उसे चूमना चाहता था जिसने उस रात मुझे उस लड़की को चूमने से रोक दिया था।
ख़ैर खुद का नाम इकराम बताने वाली वो लड़की मेरे उम्मीद के विपरीत तय रात और तय समय पे उसी रेव पार्टी में आ गई थी जहाँ उसकी कथित गर्लफ्रेंड को लेकर मेरा और उसका झगड़ा हुआ था।
उसने आज कालरदार ब्लू टी शर्ट और ब्लैक जीन्स पहनी हुई थी, उसके पाँव पे स्पोर्ट शूज थे और बाए हाथ में बड़े डायल सिल्वर कलर की वैसी घडी थी जैसी लड़के बांधते हैं। हालाकिं उसके बाल किसी लड़के की तरह कटे हुए थे पर उनसे आ रही भीनी - भीनी खुश्बू, उसके एक मादक लड़की होने की गवाही दे रही थी।
वो यक़ीनन यहाँ अक्सर पार्टियों में आती रही होगी। बार काउंटर पे बैठी लड़की उसे जानती थी।
मुझसे हाथ मिलाकर वो मुझे बार काउंटर पे ये कहते हुए ले आई 'शंशाक जब तक दो घूंट गले को तर नहीं करते तब तक मुझसे न ही इन पार्टियों में दो कदम चला जाता है और न ही कोई लड़की मुझे अपनी और आकर्षित कर पाती है।
ख़ैर उसने मुझे मेरा नाम लेकर कैसे बुलाया तो मैं बताता चलूँ कि आज पार्टी में मिलने पे सबसे पहले उसने उस दिन मेरा नाम न पूछने के लिए क्षमा मांगते मुझसे मेरा नाम पूछा था और मै तो खुद उसे अपना नाम बताने को बेताब था इसलिए झट से बता दिया।
हाँ तो जब उसने ये कहकर कि 'जब तक वो दो घूंट गले में नहीं उतार लेती तब तक उसे कोई लड़की आकर्षित नहीं कर पाती' बार काउंटर से रॉयल चेलेंज का पैग लेकर मेरी ओर बढ़ाया तो उसके हाथ से जाम लेते हुए मैने कहा 'इक़रा जो तुम्हे लगता है कि जब तक तुम शराब नहीं पी लेती तब तक तुम्हे कोई लड़की आकर्षित नहीं कर पाती तो तुम बिल्कुल गलत हो।'
'अच्छा तो सही क्या है क्यों मुझे लड़कियां तब तक आकर्षित नहीं कर पाती जब तक मैं यूँ जाम को अपने होठों से लगाकर खाली नहीं कर देती।' कहकर उसने जाम में भरी पूरी शराब एक ही घूंट में अपने गले के हवाले कर दी। उसके इस तरह शराब पीने की डेयरिंग ने मुझे थोड़ा चकित कर दिया था।
'इकरा तुम्हे लड़कियां इसलिए आकर्षित नहीं कर पाती क्योंकि तुम एक लड़की हो, इसमें शराब या विह्स्की का कोई रोल नहीं है।' उसकी आँखों में देखकर मैने व्हिस्की का एक घूंट भरते हुए कहा।
'हा हा हा।' मेरी बात सुनकर वो थोड़ी देर खुलकर हंसती रही और फिर अपनी उन्मुक्त हँसी को कंट्रोल करके अपने दाए हाथ जिसमे उसने जाम पकड़ा हुआ था उससे पार्टी में मादक डांस कर रहे लोगो की ओर इशारा करते हुए उसने कहा 'शंशाक अगर मुझे लड़कियां आकर्षित नहीं कर पाती तो मुझे लड़कों की ओर आकर्षित होना चाहिए न। वो देखो एक से एक हेंडसम और हॉट लड़के फ्लोर पे थिरक रहे है और इनमे से एक भी मुझे एक परसेंट भी आकर्षित करने का दम नहीं रखता। और हाँ शंशाक एक बात ओर तुम बार बार मुझे इक़रा कह कर लड़की नहीं घोषित कर सकते हो मैं इकराम हूँ तुम्हारी तरह मर्द और सुप्रीत नाम की एक खूबसूरत लड़की मेरी गर्लफ्रेंड है।'
'कौन सुप्रीत वही जिसे मैं उस रात किस करने वाला था ?' कहकर मैने अपने जाम की विह्स्की अपने गले के सुपर्द कर दी।
'अगर तुम्हे ये याद है तो ये भी याद होगा कि तुम्हारी इस हरकत की वजह से मैने तुम्हारी धुलाई भी की थी।'
जब ये कहकर वो डांसिंग फ्लोर की ओर जाने लगी तो पीछे से उसका हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए मैने कहा 'इक़रा मुझे सब याद है पर शायद तुम भूल रही हो कि आज तुमने मुझे ट्राई करने के लिए बुलाया है।'
मेरी बात सुनकर उसने मेरी आँखों में यकीन से देखा और फिर मुझसे अपना हाथ छुड़ाकर डांस फ्लोर की और जाते हुए बोली 'ओके कम आन शंशाक और मुझे अट्रेक्ट करने की अपनी सारी कोशिसे आज़मा लो।'
उसके पीछे चलते चलते मैं भीड़ को चीरके डांसिंग फ्लोर के मध्य में आकर उसके साथ थिरकने लगा था। अभी कुछ समय ही हुआ था कि एक लड़की जो शायद इक़रा को जानती थी और वो भी इक़रा और सुप्रीत की तरह लेस्बियन होगी उसने इक़रा को गले लगाकर उसके चेहरे पे तड़ातड़ चुम्बन लेने लगी।
जब वो दोनों काफी देर तक एक दूसरे से लिपटी चिपटी एक दूसरे को चूमती रही तो मेरा धैर्य जवाब देने लगा।
जब मेरा धैर्य दरकने लगा तो इक़रा को खींच कर उस लड़की आज़ाद करते हुए मैने कहा 'इक़रा ये चीटिंग है तुमने आज पूरा वक़्त मुझे देने का वादा किया था।'
'हाँ किया था पर यहाँ बहुत लड़कियां मेरी माशूका बनने का ख्वाब पाले बैठी है और आज जबकि मेरे साथ सुप्रीत नहीं आई है तो ये सब चांस मरने की सोचगी ही।'
'पर तुम्हारी इन माशूका के चक्कर में मेरा अपनी माशूका बनाने का अरमान अधूरा रह जायेगा।'
'अरे इसमें मैं क्या कर सकती हूँ ये तुम पे है कि तुम अपने अरमान पूरे करने के लिए क्या क्या ट्राई करते हो।' अभी उसने इतना कहा ही था कि एक लड़की ने आकर फिर उसे अपने गले से भींच लिया। इक़रा को उसकी पकड़ से आज़ाद करते हुए मैं उसके होठों के करीब अपने होठ लेकर बोला 'देखो आज रात तुमने मेरे नाम की है तो मुझे फुल ट्राई करने दो।'
'और तुम फुल ट्राई कैसे कर पाओगे ?'
कहीं एकांत में आई मीन्स कहीं अकेले कमरे में जहाँ मैं हूँ तुम हो शराब और संगीत।'
मेरी बात में उसने एक पल को सोचा और फिर मस्ती से बोली 'ओके ठीक है आज तुम्हे मुझे अट्रेक्ट करने की हर कोशिस आज़माने की छूट है।'
रिस्पेशन पे बात करके हम दोनों एक कमरे में गए। वो इतना जल्द मेरे साथ कमरे में आने को तैयार हो जायगी इस बात ने मुझे चौंकाया था पर मैने तुरंत ही सोचा कि उसे वास्तव में खुद की समलेंगिकता पे इतना विश्वास है कि वो किसी पुरुष की और आकर्षित ही नहीं हो सकती।
रूम सर्विस वाला जब हमें रूम में छोड़कर जाने लगा तो इक़रा ने उससे म्यूसिक चालू करने को कहा। और उससे व्हिस्की की बोतल और गिलास भी टेबल पर रखवा लिए।
रूम सर्विस वाले के जाने के बाद उसने मुझसे पैग बनाने को कहा। मुझसे पैग लेकर वो उसके शिप लेते हुए पर्दा खिसका के एक खिड़की पे जाकर खड़ी।
में तो समझ रहा था 'की संगीत बजते ही आप थिरकने लगती होगी।' में भी उसके करीब खिड़की पे आकर खड़ा हो गया।
'संगीत पे लड़कियां जल्द थिरकती हैं, सुप्रीत होती तो अब तक थिरक उठती।' व्हिस्की का घूंट भरके उसने बेपरवाही से कहा।
'ओह जो तुम लड़की नहीं तो मुझे किश देने में भी कोई आपत्ति नहीं होगी ?' मैने गहराई से उसकी आँखों में देखा।
'ओह स्योर किस में।' हाथ का गिलास विंडो पे संभाल के रखकर उसने अपनी दोनों बाहें मेरी ज़ानिब फैला दी।
उसकी इस बेबाकी ने मुझे स्तब्ध कर दिया। वो मेरी उम्मीद के विपरीत मेरे सामने बाहें फैलाये खड़ी थी। मुझे देख उसने वापस विंडो से गिलास उठाते हुए कहा 'बस अगर ट्राई कर लिया हो तो चले नीचे मुझे इस वक़्त किसी लड़की की शख्त जरूरत महसूस हो रही है।
उसकी कही इस बात ने मेरे भीतर मौजूद पुरुष के अहम् को ललकारा और मैने आगे बढ़कर उसके उसके गाल पे चुम्बन ले लिया। ये सब इतना अचानक हुआ की हमारे हाथो में पकडे गिलास की शराब छलक के हमारे कपड़ों पे गिर पड़ी। हाथ से अपने कपड़ो पे छलकी शराब को साफ़ करने का प्रयास करते हुए वो बोली 'जानते हो मुझे ऐसा फील हुआ जैसे सुप्रीत ने मुझे चूमा हो।'
'उसकी इस बात पे मैने उसके दूसरे गाल को भी चूम लिया।' मेरे इस चुम्बन के बाद वो हंसकर बोली 'मुझे लगता है हम दोनों ही एक - दूसरे का टाईम बर्बाद कर रहे हैं।
उसकी कही इस बात में बेहद विश्वास था और उसके इस विश्वास ने मेरा विश्वास दरका दिया था।
मुझे लगा कहीं ये इक़रा सही न हो क्योंकि उसने अपना अधिकतर वक़्त सुप्रीत और उसके जैसी लड़कियों के साथ बिताया होगा जिनकी छाप उसके दिलोज़ेहन पे होगी। इसलिए मेरे चुम्बन उसके दिल पे किसी पुरषत्व की दस्तक नहीं दे पा रहे क्योकी उसके अंतर्मन में सुप्रीत के चुम्बन बसे हुए हैं।
'क्या एक होठ का चुम्बन ? मेरे इतना कहते ही उसने आगे बढ़कर खुद एक गाढ़ा चुम्बन मेरे होठ में जड़ दिया। कुछ देर मैं सकते रहा, वो मुझे और सकते में डालते हुए बोली 'शंशाक आई एम् वेरी सॉरी तो से बट मुझे कोई फीलिंग्स ही नहीं आ रही है, चलो नीचे चलते हैं।'
मैने एक पल को सोचा और फिर कहा 'ठीक है एक लास्ट चांस उसके बाद हम नीचे चल सकते हैं।'
'नो आई थिंक इट्स ओवर।' कह कर इक़रा दरवाज़े की ओर बढ़ी, जब वो लीवर घुमाके दरवाज़ा खोलने का प्रयास कर रही थी तो मैने पीछे से आकर उसे कमर से पकड़ लिया।
'आऊच।' वो बिलकुल लड़कियों की मानिंद चिहुंकी। और उसकी इसी अदा ने मुझे अहसास दिलाया कि वो कितने भी किसी लड़की का बॉयफ्रेंड होने का दावा करे पर उसके अंदर एक परिवक्व लड़की होने के गुण मौजूद हैं।
'प्लीज़ इक़रा ये मेरी आखिरी कोशिस है मैं वादा करता हूँ अगर इस कोशिश से मै आपके भीतर फीलिंग्स नहीं जगा सका तो फिर मैं मान लूंगा कि आप सुप्रीत की बॉयफ्रेंड हैं।'
'पर मुझे लगता है ये सब टाईम ख़राब करने के अलावा कुछ नहीं है।' अपनी कमर से मेरे हाथ छुडाके वो वापस दरवाज़े की ओर मुड़ी।
'अब लगता है आपको डर लग रहा है कि कहीं मै अपने प्रयास में कामयाब न हो जाऊँ।'
'डर माई फुट।' मेरी बात सुनकर उसने पलट कर कहा और ठीक उसी वक़्त मैने उसे कमर से पकड़ कर गोद में उठा लिया। वो कुछ समझ पाती उससे पहले मैने उसे लाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
'ये क्या है शंशाक ?' इक़रा बिस्तर से उठकर बैठ गई।
'मेरी आखिरी कोशिश।' कहकर मैने उसके पांव से जूते उतार दिए। दूधिया पांव ट्यूबलाइट की रौशनी में चन्द्रमा के मानिंद चमक उठे।
'शंशाक तुम्हारी कोई भी कोशिश में न्यूड होना शामिल नहीं होगा समझे।' अपने संगमरमरी पाँव खींच कर वो अपने में सिमटते हुए बोली।
उसकी इस अदा ने मेरे उत्साह को दोगुना कर दिया और उसके पाँव को अपनी हथेलियों से सहलाते हुए मैने कहा 'डोंट वरी इक़रा, जब तक आप न कहोगी हममें से कोई न्यूड नहीं होगा। लड़कियां भले ही मेरी कमज़ोरी हो पर उनकी इच्छा के खिलाफ मैं कभी कुछ नहीं करता।'
'और अगर लड़की सहमति दे तो यूज़ ऐंड थ्रो।' कहकर उसने अपना पाँव वापस खींचने का प्रयास किया।
उसके इस प्रयास को मैं अपने हाथो की शक्ति से विफल करते हुए मैने कहा 'जो तुम्हारे और सुप्रीत से लड़कियां उल्फत में शामिल हो तो बस यूज़ ही यूज़, थ्रो तो भूल ही जाओ।'
'ऐ मैं लड़की नहीं बल्कि सुप्रीत जैसी दिलकश लड़की का बॉयफ्रेंड हूँ।'
'ठीक है तुम्हारी बात मान लूंगा पर इस कोशिश के बाद।' कहकर मैने झुक कर अपने होठ इक़रा के दमकते पाँव पे रख दिए।
मेरी इस हरकत पे उसने थोड़ा विस्मित निगाहों से मुझे देखा। शायद उसे यूँ इस तरह अपने पाँव चूमे जाने की उम्मीद नहीं थी। शायद आज पहली बार उसके पाँव के चुम्बन लिए जा रहे थे। उसने शायद कभी अपनी कथित गर्लफ्रेंड सुप्रीत के पाँव इस तरह नहीं चूमे थे जैसे इस वक़्त मैं उसके पाँव चूम रहा था।
ज्यों ही मैने उसके बाएं पाँव के कोमल अंगूठे को अपने दोनों होठों के घेरे में लिया वैसे ही एक हलकी सिसकारी उसके होठो से बरबस फूटी और उसने अपनी आंखे बंद कर ली। ये संकेत था की मेरा प्रयास सफल हो रहा था। यूँ अपने प्रयास को सफल होते देख मैं अपनी कोशिश में दोगुने उत्साह से जुट गया।
कुछ ही लम्हों में मैं अपने होठों से उसके पाँव का अंगूठा और उँगलियाँ ठीक वैसे ही चूम रहा था जैसे फ्रेंच किस में होठों से होंठ चूमे जाते हैं। और फिर जब मैने उसके दूसरे पाँव के अंगूठे को अपने होठों के दरम्यां लिया तो वो पैतरा बदलकर उठ बैठी।
'शशांक... ।' उसके होठों से अस्पष्ट स्वर फूटें और उसके हाथ खुद ब खुद मेरे बालो को तरतीब और बेतरतीब करने लगे।
'इक़रा अब शायद तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनने को तैयार हो ?' मैने एक हलके से झटके से उसे वापस लिटाकर उसके पाँव की ओर अपने होठ बढ़ाये। इक़रा ने भी अपनी बाहों से मेरी पीठ को भींच कर अपने सीने में समटने का प्रयास किया।
'सो यू आर रेडी ? मै कहकर उसके शर्ट के बटन खोलने लगे।
मेरी बात पे उसके होठ खामोश रहे। उसकी साँसे बढ़ चली और उसके हाथ मेरे शरीर को सहलाने लगे। उसके शर्ट के बटन खोलकर मैने शर्ट को उतरा नहीं और उसके बालो, गालों और गर्दन को तनिक सख्ती से सहलाने लगा। मेरे हाथो की सख्ती उसे अच्छी लग रही थी और खुद की देह मेरे हाथो के हवाले कर रही थी।
तनिक देर बाद मेरे हाथ को अपने गाल पे रगड़ते हुए उसने बेहद मद्धिम स्वर में कहा 'शंशाक आप मुझे न्यूड कर सकते हो।'
और फिर कुछ लम्हो बाद ही हमारे बेलिबास जिस्म एक तूफ़ान की ज़द में थे।
तूफान हमारे देहों को एक दूसरे की झोली में डालकर शांत हो गया। इक़रा मेरे रोमिल सीने में सर रखे हुए आँख मूंदे थी। आज उसके चेहरे पे ऐसे भाव थे जैसे उसे जीवन की तृप्ति पहली बार प्राप्त हुई है। मै उसे अपने में सिमटा हुआ देख रहा था तभी दरवाज़े को खटखटाने का स्वर गूंज उठा।
थोड़ी देर में ही खटखटाने के साथ एक फीमेल आवाज़ भी सुनाई पड़ी।
आवाज़ सुनकर 'सुप्रीत...।' कहते हुए इक़रा झटके से खड़ी होकर अपने कपडे पहने लगी।
'सुप्रीत मुझे इस हालत में देखकर क्या सोचेगी।' इक़रा कपडे पहनते हुए बोली।
इक़रा का ये हाल देखकर अचानक मेरे अंदर का पौरषीय अभिमान जाग उठा 'हाँ कहाँ तो अभी तक किसी का बॉयफ्रेंड बनने का दम भर रही थी और कहाँ अब एक नार्मल फीमेल की तरह घबड़ा रही है।
'शंशांक तुम भी कपडे पहन लो।' दरवाज़े पे सुप्रीत की बढ़ती आवाज़ों से वो परेशान होते हुए बोली।
'ओह तो सुप्रीत को मेरी देह देखने का आनंद नहीं लेना देना चाहती शायद तुम अकेले ही मेरे जिस्म पे अपना हक़ जमाना चाहती हो। ओके ठीक है जब तक तुम नहीं कहोगी मै अपना ये सुगठित शरीर सुप्रीत के सामने नुमाया नहीं करूँगा।' हँसते हुए कहकर मैने अपने शरीर पे चादर खींच ली।
मेरी और जलती निगाह डालकर अपनी जींस की ज़िप सही करते हुए इक़रा ने दरवाज़ा खोल दिया।
दरवाज़ा खुलते ही सुप्रीत दनदनाते हुए कमरे में दाखिल हुई। एक नज़र इक़रा के उलझे बालो पे डाली और दूसरी नज़र चादर के बाहर निकले मेरे रोमिल सीने पे डाली और फिर पैर पटकते हुए दरवाज़े से बाहर निकल गई।
'सुप्रीत...सुप्रीत... अरे सुन तो।' कहते हुए इक़रा भी उसके पीछे पीछे भागी।
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उस रात के बाद में रेड रोज पब में कई बार गया पर मुझे इक़रा नज़र नहीं आई और न ही सुप्रीत दिखाई दी। मैने लेस्बियन इक़रा को जिसने रोल प्ले में हमेशा लड़के का रोल निभाया था उसे लड़की होने का एहसास कराया था। मेरे पुरुषत्व के संसर्ग से इक़रा के भीतर की लड़की जाग गई थी। उस रात इक़रा ने मुझे जो दैहिक आनंद दिया वैसा आनंद मुझे अब तक मयस्सर नहीं हुआ था। शायद मुझे मिले इस आनंद की वजह ये थी कि मेरा पुरुष मन कही न कहीं इस अभिमान में था आखिर मैने एक लड़की का एक लङका जैसे रहने का ख्वाब तोड़ कर उसे लड़की होने का एहसास कराया था। न सिर्फ उसे लड़की होने का एहसास कराया था बल्कि उसे एक लड़की की मानिंद अपने साथ संसर्ग करने पे भी बाध्य कर दिया था।
एक रात जब मैँ पब में इक़रा को न पाके निराश अपने फ्लैट पर पहुंचा तो देखा इक़रा वहां बिल्डिंग के सिक्यूरटी केबिन में मेरे बारे में पूछ रही थी। मुझे याद था उस रात हमने एक दूसरे के अड्रेस नहीं पूछे थे न ही उस क्लब में अड्रेस रजिस्ट्रड होने का रूल था फिर इक़रा को मेरी बिल्डिंग का एड्रेस कैसे मिला ?
सिक्यूरटी गार्ड से बात करते हुए इक़रा मुझे देखकर मेरे पास आ गई। इक़रा को वहां देखकर मैं बेहद खुश हुआ, हलाकि मैं उसे वहां यूँ देखकर थोड़ा अचंभित भी था। मैने देखा इक़रा के चेहरे पे उदासी जमी हुई है। जबकि इससे पहले वो जब भी मुझे पब में मिली थी तो उसका चेहरा हमेशा खुशनुमा ही रहता था।
इक़रा को यूँ सामने पाकर मेरे भीतर का दिलफेंक पुरुष पूरी शिद्द्त से अंगड़ाई लेने लगा था। और इस पुरषत्व की अंगड़ाई की अभिलाषा इक़रा के सामीप्य और सानिध्य के लिए मचल उठी।
'चलो फ्लैट पे चलकर बात करते हैं।' मैने इक़रा का हाथ पकड़ के कहा तो उसने अपनी देह मेरी देह से सटाकर कहा 'हाँ शंशाक मुझे भी आपसे तन्हाई में बात करनी है।'
इक़रा के साथ फ्लैट के भीतर आकर मैने जैसे ही दरवाजा लॉक किया इक़रा लगभग चिल्लाते हुए बोली 'तुमने मेरी लाईफ बर्बाद कर दी शंशाक।'
'कैसे कह सकती हो मैने तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद की जबकि मैं कहता हूँ कि तुम मेरा एहसान मानो कि मैने तुम्हारे भीतर की उस लड़की को ज़िंदगी दी जिसे तुमने अपने झूठे ख्वाबो के लिए मुर्दा बना दिया था।' मैने इक़रा को खिंच कर उसे अपने सीने से चिपकाते हुए कहा।
'लीव मी।' मुझसे दूर होकर वो अपनी उखड़ी साँसों के साथ बोली 'तुम्हारी वजह से मेरी हंसती खेलती ज़िंदगी तबाह हो गई। मेरी गर्लफ्रेंड सुप्रीत उस रात के बाद मेरा चेहरा तक देखना पसंद नहीं करती।'
'इक़रा तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा और सुप्रीत का एक वहम टूट गया। और तुम्हे इसके लिए मेरा धन्यवाद देने के लिए आज की रात अपने भीतर की छुपी लड़की को वापस मुझे गिफ्ट कर दो।'
'मैं समझ नहीं पा रही हूँ शंशाक कि तुम्हे मेरा वहम तोड़कर मेरे साथ अच्छा किया है या फिर बुरा।' इक़रा अब मेरे ज़ानिब खड़े होकर मेरी आँखों में झाँक रही थी।
'मैने उतना तुम्हारे साथ उतना अच्छा नहीं किया जितना अच्छा अपने साथ किया है।'
'अपने साथ क्या अच्छा किया ?'
यही की अब तक जो आनंद तुम्हारे साथ उस रात मिला वैसा अब तक नसीब नहीं हुआ।'
'अच्छा क्या बहुत सी लड़कियां आपकी रातो की हमसफ़र रही है ?'
'हाँ लेकिन सब अपनी मर्ज़ी से मेरी रातो में शरीक हुई। ये तो तुम मानोगी क्योंकर तुम भी अपनी इच्छा से उस रात मेरी हमसफ़र बनी थी।'
'अच्छा क्या अब तक सच में कोई लड़की तुम्हे मुझ सी नसीब नहीं हुई ?' उसने तनिक ओर करीब से मेरी आँखों में झाँका।
'हाँ एक लड़की थी जिसने मुझे बेहद सुख दिया, शायद तुमसे भी बढ़कर।' कहकर मैने भी इक़रा की आँखों में भीतर तक झाँका।
'अच्छा क्या नाम था उसका क्या मुझसे ज्यादा सुंदर थी ?'
'छोड़ो इक़रा तुमसे से सुंदर कोई नहीं।' मैने उसे वापस अपने सीने से लगा लिया। इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि और मुझ में समाने की कोशिश की।
और फिर हमारे दरम्यां प्यार की मस्त बयार बह उठी। इस बयार पे किसी पतंग की तरह बहते हुए इक़रा ने अपने होठों से प्यार का इक़रार किया और मै उसे अपने साथ लेकर प्यार के समुन्दर में उतर गया।
जब इस प्यार के समुंदर को हमने एक दूसरे की साँसों के सहारे पार किया तो हमारे शरीर और मन दोनों तृप्त थे।
असीम तृप्ति के स्वर में मेरी गर्दन में बाहे डालकर इक़रा बोली 'शंशाक क्या अब भी तुम कहोगे कि उस चुड़ैल ने तुम्हे मुझसे ज्यादा सुख दिया ?'
'कौन पूजा की बात कर रही हो ?'
'तो उस लड़की का नाम पूजा था ?'
'हाँ बट वो सब पास्ट की बातें है छोड़ो उन्हें।' मैने इक़रा के बाल सहला के कहा तो वो भी 'ओके ठीक है शंशाक' कह कर मेरे बाल सहलाने लगी।
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उस रात के बाद मै और इक़रा अक्सर मिलते और प्यार के नाम पे वासना के फूल चुनते। मुझे इक़रा में सच में दिलचस्पी थी पर इक़रा मेरे मन के दिलफेंक आशिक को पूरी तरह काबू में नहीं कर सकी ये मैं उस दिन जान पाया जब एक दिन सुप्रीत मेरे सामने आकर खड़ी हो गई।
सुप्रीत भी मुझे ठीक वैसे ही मिली जैसे इक़रा मुझे मेरी बिल्डिंग में मिली थी। वो भी उदास थी। जहाँ इक़रा जब मुझे मिली तब इसलिए उदास थी कि मैने उसकी कथित गर्लफ्रेंड के सामने उसके भीतर की लड़की को जगा कर उसकी गर्लफ्रेंड को उससे दूर कर दिया तो सुप्रीत इसलिए उदास ही कि वो अब तक एक लड़की को अपना बॉयफ्रेंड समझकर अपनी ज़िदगी के हसीं दिन ग़र्क़ करती रही है।
सुप्रीत भी इक़रा की तरह मेरे फ्लैट पे मेरे साथ आ गई थी। कुछ वक़्त में ही हमारे दरम्या अंतरंग बातो का दौर चल पड़ा। मैने महसूस किया सुप्रीत में इक़रा से ज्यादा लज्जत है और मैंने सुप्रीत से उसकी देह के सामीप्य की ख्वाहिश प्रकट कर दी। मेरी बात सुनकर सुप्रीत कुछ देर अपलक मुझे देखती रही फिर अपने पंजों पे उचक कर मेरे माथे पे एक बोसे का टीका लगाकर बोली 'शंशाक आप जैसे सजीले मर्द का सामीप्य पाकर कोई भी लड़की खुद को धन्य समझेगी पर ....।'
'पर क्या सुप्रीत ?' मैं सुप्रीत की बातो से उत्साहित होकर उसे अपनी और खींचते हुए बोला। मेरे भीतर का दिलफेंक आशिक़ जाग चुका था।
मुझसे तनिक दूर हटते हुए सुप्रीत बोली 'शंशाक मैं चाहती हूँ कि ये सब शादी के बाद हो।' फिर वो मेरे करीब आकर मेरे पाँव के पास बैठते हुए बोली 'शंशाक क्या आप मुझे इस काबिल समझते हैं कि मुझे अपनी वाईफ बना सके।'
रंगीनियो के पीछे भागती मैने अपनी ज़िंदगी में इससे पहले कभी शादी के बारे सोचा ही नहीं था। यहाँ तक इक़रा को भी हासिल करने के बाद भी मेरे मन में उससे शादी करने के जज्बात नहीं उमड़े थे। सुप्रीत की इस ख्वाहिश में न जाने कौन सी कशिश थी कि मैं भी उस लड़की से शादी का ख्वाहिशमंद हो उठा था।
झुकार मैने उसे उठाया और हलके से गले लगाकर उसके बाल सहलाते हुए मैने कहा 'सुप्रीत खुशनसीब तो मैँ हूँ जो तुमने मुझे शादी के लायक समझा। अब हम जल्द ही शादी करेंगे और यकीन करो बाकी सब अब शादी के बाद ही होगा जब हम पति और पत्नी होंगे।'
और फिर उस रात के बाद मुझे सच में सुप्रीत से प्यार हो गया। मैँ दिल उससे शादी करने को बेकरार हो उठा। मैने अब अन्य लड़कियों और इक़रा से दूरी बनाने का सोच लिया था। पर एक दिन अचानक इक़रा ने मुझे जब फोन पे बताया कि वो मां बनने वाली तो मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन खिसक गई।
इक़रा मुझसे तुरंत मिलना चाहती थी पर मैं सुप्रीत से मिलने को बेक़रार था। मुझे सुप्रीत पे इस कदर भरोसा हो चला था कि उसे मिलकर ये बताना चाहता था कि इक़रा के साथ जो हुआ वो बस भावनाओ का एक खेल था और फिर इक़रा से मेरे दैहिक सम्बन्ध सुप्रीत के मेरी ज़िंदगी में आने से पहले से थे।
सुप्रीत पे जो मेरा विश्वास था वो सही साबित हुआ।
मेरी बात सुनके सुप्रीत मुझे गले लगाके बोली 'शंशाक आपके और इक़रा के बीच जो भी सम्बन्ध हैं वो आकर्षण का नतीजा है। मैं खुद इक़रा से मिलूगी और उससे आपको मांग लूंगी। जहाँ तक मैं उसे जानती हूँ मेरे लिए उसके मन में अब भी सॉफ्ट कार्नर है और वो मेरी बात नहीं टालेगी।'
'पर उसके पेट में एक बच्चा पल रहा है ?' मैने शंका व्यक्त की 'शायद इस वजह से इक़रा तैयार न हो।
'शंशांक जो आप चाहेंगे तो वो शायद अबॉर्शन करने को राज़ी हो जाये।'
सुप्रीत मेरे दिलोज़ेहन में इस कदर छाई थी की मैने बिना ये सोचे उसकी ये बात मान ली कि इक़रा के पेट में पल रहा बच्चा खुद मेरा बच्चा है।
मेरी सहमति पाकर खुश होकर सुप्रीत मेरे गले लगकर बोली 'शंशाक क्या मुझसे आप एक और वादा करेंगे ?'
'हाँ कहो सुप्रीत तुम क्या चाहती हो मुझसे ?'
'शंशांक मैं जानती हूँ आपके बहुत सी लड़कियों से सम्बन्ध रहे है पर मैं चाहती हूँ हमारी शादी के बाद आप सिर्फ मेरे रहे और किसी भी लड़की से कोई ताल्लुकात न रखे।'
'सुप्रीत अब जब तुम दुल्हन बनके मेरी ज़िंदगी में आ रही हो तो मै वादा करता हूँ कि किसी भी लड़की से सम्बन्ध नहीं बनाऊगा, ये मेरा तुमसे वादा है।'
'इक़रा से भी नहीं ?' कहकर सुप्रीत ने उम्मीद भरी आस से मेरी आँखों में देखा।
सुप्रीत की चमकती आँखों के उजालो में खोकर मैने कहा 'सुप्रीत जब मैने कहा अब मैं किसी लड़की से संबंध नहीं बनाऊगा तो इसका मतलब है किसी भी लड़की से नहीं बनाऊगा फिर वो चाहे इक़रा ही क्यों न हो।'
मेरी बात सुनके सुप्रीत की और चमक उठी और वो मेरी बाहों में और ज्यादा सिमट गई और मैने भी उसे अपने बाहो के घेरे में कस लिया।

 

 

मैं अपने भाग्य पे इतराने लगा था।
सुप्रीत की आँखों में मेरे लिए मुहब्बत देखकर इक़रा कुछ देर चुपचाप गुमसुम बैठी रही। फिर सुप्रीत के गाल अपनी हथेलियों में भरते हुए वो बोली 'सुप्रीत हमने एक अच्छा वक़्त साथ गुज़ारा है। कई राते हमने एक दूसरे के पहलू में काटी है। तूँ सच जान पगली जो मुहब्बत, हमारी ज़िंदगी में शंशाक के आने से पहले मैं तुमसे करती थी वही आज भी करती हूँ। तुम्हे याद होगा सुप्रीत मैने कई बार तुमसे वादा किया था कि मैं तुम्हारी खुशियों के लिए कुछ भी करुँगी। और जब हमारी ज़िंदगी में शंशांक तूफ़ान की तरह दाखिल हो चुके तो मैं चाहूंगी इस तूफ़ान में तुम्हारी मुहब्बत का दिया सलामत रहे।' फिर इक़रा सुप्रीत को प्यार से बिठाकर मेरे पास आकर बोली 'शंशांक सुप्रीत को अपनी ज़िंदगी में शामिल करके उसे मुकम्मल कर दो।' फिर वो मेरे हाथ पकड़ के बोली 'शंशाक बोलो करोगे न आप सुप्रीत से शादी खुशिया दोगे उसे दुल्हन का लिबास पहन के।'
इक़रा की बात सुनके मेरा दिल ख़ुशी से बल्लियों उछलने लगा था। इक़रा से हाथ छुडाके मैं सुप्रीत को उठाकर पाने करीब लाते हुए बोला 'इक़रा मैं वादा करता हूँ बहुत जल्द सुप्रीत मेरी दुल्हन बनेगी।'
'पर इक़रा तुम इसका क्या करोगी ? सुप्रीत ने इक़रा के उभरे पेट को हलके से छूते हुए पूछा।
सुप्री

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