'देखो तुम्हारे अतीत कोजानते हुए भीमैने तुमसे शादीकी।' पतिसुहागरात को पहलेलैंगिक संसर्ग के बादपत्नी से बोला।
पत्नी ने पतिकी बात सुनकरअपनी झुंकी आँखेऔर झुंकी दी।
'कहो अब कौनमहान है मैंया वो तुम्हाराप्रेमी ?' पति वापसतनिक घमंड सेबोला।
पत्नी अब भीवैसे ही बैठीरही। मूक औरनत मुख।
'कहीं वो नपुंसकतो नहीं था?'पति, पत्नी केमन में उसकेप्रेमी के लिएघृणा का भावपैदा करने कीगर्ज़ से बोला।
पति की बातसुनकर पत्नी कोवो दिन यादआ गए जबवो अपने प्रेमीके साथ प्रेमगीत गाती थी।
उसका प्रेमी उसे बेहदप्रेम करता था कईबार वो उसकेसाथ एक हीचादर में लेटाथा पर कभीचुम्बन आदि सेआगे न बढ़ा।और फिर एकरात जब उसने खुदकाम के वश मेंहोकर अपने प्रेमीसे कहा 'उसकीइच्छा पूरी करो'तभी उसने उसकेसाथ दैहिक सम्बन्धबनाया।
पत्नी को चुपदेख पति वापसबोला - 'क्या वोवाक़ई नपुंसक था।'
पत्नी का मनकिया वो कहदे अपने पतिसे - नपुंसक वोनहीं था जोप्रेम की पवित्रतानिभाता रहा, जोहर राह मेंमेरे साथ मेंखड़ा रहा। मेरीपढ़ाई का खर्चउठता रहा। मेरेएक बार कहनेपर चुपचाप मेरीज़िन्दगी से दूरहो गया। औरतुम्हारे मांगे के दहेज़की राशि उसनेदी अपने सिद्धांतोके विरुद्ध जाके। अरेनपुंसक तो तुमहो जो अच्छीखासी नौकरी करतेहुए भी बिनादहेज़ के शादीको तयार नहीं हुए।
पत्नी अभी सोचही रही थीकि पति नेखींच कर वापसउससे लैंगिक संसर्गकरने लगा औरपत्नी चुपचाप एक'नपुंसक' के सीनेसे चिपट गई।
--सुधीर मौर्य
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