Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्रेम में फरेब

 

 

पिछले कई दिनों से
सूरत लगती थी उसकी
कुम्हलाई हुई इ
अक्सर दिखती थी
वो घबराई हुई सी.

 

कम हो गया था
उसका कालेज जाना
वो शरारतें उसकी
वो मुस्कराना.

 

तब्दीलियाँ आने लगी थी
शरीर में उसके
दुबे रहते थे आजकल
नेंन, नीर में उसके

 

खो दिया था उसने
अपना कुछ तो
समर्पित करना था उसे
सुहाग सेज पे जिसको.

 

खाया था उसने
हो न हो
प्रेम में फरेब
किसी से इन दिनों.

 

'हो न हो' से..

 



सुधीर मौर्या 'सुधीर'

 

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