Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बागी

 

चाय की चुस्की एक घुट लेने के वास्ते
जो चारो तरफ भटकत रहे राह में वे
सिर्फ सत्ता के सुख भोग की चाहत में
बाजार में बिक जाने को राजी हो गये |
जिसने अपनी माग़ के मायने समझा
वो जहां में नक्सल बादी हो गये |
जो प्रगति के आंकड़े ले आये
खेल आंकड़ो के अवशरबादी हो गये |
चारो तरफ भटकने वाले बोलते
सभाए मंच पर वे बागी हो गये |
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Sukhmangal Singh

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